देश भर के साथ प्रदेशों में बच्चों को तनाव मुक्त रखने और बेहतर शिक्षा देने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जाता है. सरकार कई योजनाएं चलाती है. ताकि छात्रों को अच्छी शिक्षा देकर उनका भविष्य उज्जवल हो सके. ऐसी योजनाओं के तहत स्कूलों तक राशि आवंटित कर शासन-प्रशासन अपना दायित्व पूरा करती है.
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एक बच्चे को होनहार छात्र बनाने के पीछे जिनकी सालों की मेहतन छिपी होती है, एक शिक्षक का सबसे बड़ा गुरू दक्षिणा वही होता है कि उनका शिष्य उनका और उसके स्कूल का नाम रौशन करें, लेकिन इसके विपरीत शिक्षकों को नज़र अंदाज किया जा रहा है. शिक्षकों को तनाव मुक्त रखने के लिए शासन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है. शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने सरकार से जिरह की है कि शिक्षकों को तनाव से मुक्त करने पर भी विचार करें.
शिक्षकों को तनाव मुक्त करने पर भी सोचे सरकार pic.twitter.com/dw4JMV6iPR
— Abhishek Mishra (@AbhiMishra444) February 18, 2018
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प्रदेश में शिक्षकों के वेतन के लिए शायद सोचने का भी समय नहीं है, इस महंगाई के दौर में जब हर माह समय पर वेतन पाने वाले व्यक्ति को जीवन चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो उन शिक्षकों के बारे में भी सरकार को सोचना होगा. जिन्हें 3 माह से वेतन नहीं मिला है, आखिर उनका घर कैसे चल रहा होगा, उनके बच्चे कैसे जी रहे होंगे और उनके जीवन की गुणवत्ता क्या होगी?
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बच्चे अगर सफल होंगे तो इसमें साल भर मेहनत करने वाले उनके परिजनों और शिक्षकों की भूमिका होगी न कि किसी के 1 घंटे के लेक्चर की,,तो हो सके तो इस देश और प्रदेश को बर्बाद होने से बचा लीजिए वरना स्कूलों में संसाधन तो रह जाएंगे पर बच्चों के भविष्य को गढ़ने वाले शिल्पकार ठेके पर काम करने वाले मजदूर के जैसे हो जाएंगे.
वेब डेस्क, IBC24
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