सफर की शुरूआत करते हैं..छत्तीसगढ़ के कुरुद विधानसभा सीट से…कुरुद छत्तीसगढ़ के हाइप्रोफाइल सीटों में से एक है…और बीजेपी के एक कद्दावर नेता और प्रदेश में कैबिनेट मंत्री यहां से विधायक हैं…क्या है कुरुद विधानसभा का सियासी मिजाज… और वो कौन से मुद्दे हैं..जो इस बार चुनावी शोर में सुनाई देने वाले हैं…बताएंगे आपको लेकिन पहले कुरुद के प्रोफाइल पर एक नजर..
धमतरी जिले में आती है विधानसभा सीट
जनसंख्या- करीब 1 लाख 72 हजार
पुरुष मतदाता- 86 हजार 786
महिला मतदाता- 84 हजार 573
सीट पर जाति समीकरण हैं अहम
साहू वोट बैंक यहां बड़ी सियासी ताकत
फिलहाल सीट पर बीजेपी का कब्जा
पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर हैं वर्तमान विधायक
कुरुद विधानसभा की सियासत
कुरुद विधानसभा की सियासत की बात करें तो ये छत्तीसगढ़ के हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल है.. कुरुद विधानसभा क्षेत्र चुनावी नजरिए से काफी उलटफेर नतीजे देने वाला इलाका रहा है… इस इलाके से दिग्गज नेता विधानसभा में पहुंचते रहे हैं। भोपालराव पवार, यशवंत राव मेघावाले का नाम इस कड़ी में लिया जा सकता है…फिलहाल भाजपा के कद्दावर नेता और पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वैसे यहां शख्सियतों के साथ साथ जाति समीकरण भी काफी काम करते हैं….साहू वोट बैंक यहां बड़ी सियासी ताकत हैं।
कुरुद विधानसभा की खासियत है कि यहां की जनता बीजेपी-कांग्रेस को बराबर का मौका देती है… और अपने नेता को जनता खूब लाड़ करती है….वहीं मौका मिलने पर पटखनी भी देने में पीछे नही हटती…..यहां हुए कुल 14 चुनावो में 8 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.. कुरुद विधानसभा के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो.. 1962, 1972 और 1977 में जनसंघ के यशवंत राव मेघावाले यहां से विधायक चुने गए ..लेकिन 1967 और 1980 में यहां कांग्रेस के प्रत्याशी ने उन्हें हरा दिया…1998 और 2003 में यहां से अजय चंद्राकर विधायक बने…..लेकिन उन्हें भी 2008 में लेखराम साहू से हार का सामना करना पड़ा..
2013 में अजय चंद्राकर एक बार फिर कांग्रेस के लेखराम साहू को 27 हजार मतों से हराकर विधानसभा पहुंचे….इस इलाके में साहू मतदाताओं का वर्चस्व रहा है…लेकिन हर बार यहां जाति समीकरण असरकारी साबित नहीं होता। जातिगत वोटों की बात करें..तो कुरुद में करीब 1 लाख साहू मतदाता है….इसके अलावा करीब 35 हजार कुर्मी मतदाता है…
कुरुद विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर चुनावी माहौल बनने लगा है …आरोप-प्रत्यारोप का दौर दोनों तरफ से जारी है ..2008 में अजय चंद्राकर को मात देकर विधायक बने लेखराम साहू एक बार फिर ताल ठोंकने के लिए तैयारी में जुट गए हैं..हालांकि जिला पंचायत सदस्य नीलम चंद्राकर की दावेदारी भी सामने आई है…वहीं दूसरी ओर भाजपा से मंत्री अजय चंद्राकर का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है…वैसे कुरुद विधानसभा में तीसरी पार्टी का कोई वजूद नही रहा है….पर छत्तीसगढ़ जेसीसीजे यहां खूब मेहनत कर रही है…कुल मिलाकर कुरुद विधानसभा में आने वाले चुनाव में भी सियासी उठापटक होना तय है ..
कुरुद विधानसभा के मुद्दे
कुरुद में मंत्री अजय चंद्राकर के नेतृत्व में कई सौगातें तो मिली है..लेकिन कई मुद्दों को लेकर आज भी इलाका पिछड़ा नजर आता है..प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री होने के बावजूद कुरुद में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोगों को भटकना पड़ता है।
…कुरुद विधानसभा ने प्रदेश को कई सियासी दिग्गज दिए हैं…यहां से चुनाव जीतकर कई नेता अविभाजित मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ में मंत्री पद पर रहे हैं….बावजूद इसके कुरुद में विकास की रफ्तार सुस्त दिखाई देता है…प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का क्षेत्र होने के बाद भी यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोग भटकने को मजबूर हैं।
डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों का सही इलाज नहीं हो पाता..और मरीजों को धमतरी या फिर रायपुर रिफर कर दिया जाता है। केवल स्वास्थ्य का मुद्दा ही नहीं बल्कि शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी पिछड़ा है क्षेत्र…वहीं बेरोजगारी के कारण युवा पलायन को मजबूर हैं…रेत खदानों में अवैध खनन को लेकर भी विपक्ष विधायक जी को घेरने की तैयारी में जुटी है…कुल मिलाकर कुरुद में चुनावी मुद्दों की कमी नहीं है..और आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए यहां जीत की राह इतनी आसान नहीं होगी ।
वेब डेस्क, IBC24