चलिए अब आपको बताते हैं छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित होने के बाद प्रदेश की राजनीति में कैसे उबाल आया. और कब-कब क्या-क्या हुआ..
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पारित होते ही राज्यभर में विरोध शुरू हो गया था..। पहले सर्व आदिवासी समाज और कांग्रेसियों ने राज्य के सभी जिलों और ब्लॉक मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया.. और कलेक्टर को प्रधानमंत्री और राज्यपाल के नाम से ज्ञापन सौंपा।
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आदिवासियों के विरोध के देखते हुए सरकार के राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे मीडिया से मुखातिब होते हुए संशोधन विधेयक पर सरकार की सफाई पेश की थी..। इस दौरान सरकार के आदिवासी मंत्री भी साथ में थे। सरकार की इस सफाई से सर्व आदिवासी समाज संतुष्ट नहीं हुआ था। सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक का सर्व आदिवासी समाज ने बहिष्कार किया और मुख्यमंत्री से ही बात करने की मांग पर अड़ गये।
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जिसके बाद कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता राज्यपाल से मुलाकात की और भू-राजस्व संशोधन बिल में हस्ताक्षर नहीं करने की मांग की थी। उधर, भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के नेताओं ने भी सीएम रमन सिंह मुलाकत की और संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की थी। वहीं, 13 जनवरी को रायपुर में 5 राज्यों के आदिवासी इस बिल के विरोध में जुटने वाले थे। लेकिन सरकार ने बिल वापस लेकर गेंद अपने पाले में डाल ली है।
वेब डेस्क, IBC24
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