मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के वसूली संबंधी आरोपों पर उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
राकांपा नेता नवाब मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
देशमुख ने भी त्यागपत्र की एक प्रति ट्वीट की जिसमें उन्होंने कहा कि अधिवक्ता जयश्री पाटिल की याचिका पर उच्च न्यायालय ने आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
उन्होंने त्यागपत्र में लिखा, ‘‘अदालत के आदेश के बाद मेरे पास पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। मैंने पद छोड़ने का निर्णय किया है। कृपया मुझे मेरे पद से कार्यमुक्त करें।’’
मलिक ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद देशमुख ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकत की और त्यागपत्र देने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि उन्हें लगा कि सीबीआई जांच के आदेश के बाद पद पर बने रहना उचित नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘देशमुख पद छोड़ने के लिए पवार से ‘हरी झंडी’ मिलने के बाद ठाकरे को इस्तीफा सौंपने गए।’’
मलिक ने कहा कि सिंह के आरोप निराधार हैं, लेकिन पार्टी अदालत का सम्मान करती है और इसलिए देशमुख पद छोड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि सच्चाई सामने आएगी।
मलिक ने कहा, ‘‘राज्य सरकार आरोपों पर पहले ही एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराए जाने का आदेश दे चुकी है लेकिन हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और अदालत के आदेश के बाद, देशमुख ने स्वयं कहा कि वह पद पर नहीं बने रहना चाहते।’’
उन्होंने कहा कि देशमुख के इस्तीफे के बाद गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास रहेगा जो महा विकास अघाडी के घटक दलों से विमर्श करने के बाद निर्णय करेंगे कि राज्य का नया गृह मंत्री कौन होगा।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि राकांपा नेता एवं मंत्री दिलीप वलसे पाटिल को गृह विभाग दिया जा सकता है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देशमुख ने त्यागपत्र दे दिया है और सीबीआई जांच में कई ‘‘चौंकाने वाले’’ खुलासे होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जो गलतियां करते हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए, अन्यथा लोकतंत्र में मजबूती नहीं आएगी। सीबीआई की प्रारंभिक जांच के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे।’’
सिंह ने गत 25 मार्च को देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए आपराधिक जनहित याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे सहित अन्य पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तराओं से 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि यह “असाधारण’’ और “अभूतपूर्व’’ मामला है जिसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को प्रारंभिक जांच 15 दिन के भीतर पूरी करने और आगे की कार्रवाई पर फैसला लेने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इनमें एक याचिका खुद सिंह ने जबकि दूसरी याचिका शहर की वकील जयश्री पाटिल और तीसरी याचिका शिक्षक मोहन भिडे ने दायर की थी जिनमें अलग-अलग कदम उठाने का अनुरोध किया गया।
पीठ ने तीनों याचिकाओं का निस्तारण कर दिया।
भाषा
नेत्रपाल माधव
माधव
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