धान का सम्मान और अच्छे फसल की मन्नत है 'बढ़ौना' | Paddy is respected 'Badrouna'

धान का सम्मान और अच्छे फसल की मन्नत है ‘बढ़ौना’

धान का सम्मान और अच्छे फसल की मन्नत है 'बढ़ौना'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : December 6, 2020/12:51 pm IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा से जुड़ी एक और खास चीज से हम आपको रूबरू करा रहे हैं। अक्सर फसल कटने के बाद ‘बढ़ौना’ की चर्चा होती है।

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खेती किसानी से जुड़े लोग तो इसे जानते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ का होकर भी खेती किसानी से दूर रहने के चलते कई लोग इससे अनजान है। हाल ही में सीएम बघेल ने भी सोशल मीडिया के जरिए ‘बढ़ौना’ का जिक्र किया था।

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क्या है ‘बढ़ौना’

खेतों में लहलहाती फसलें सोने के दाने से कम नहीं लगती। किसानों की मेहनत सार्थक होने के बाद वक्त धान की कटाई का आता है। कटाई का काम पूरा होने के बाद ‘बढ़ौना’ की परंपरा निभाई जाती है। इसका मकसद प्रार्थना करना है, कि अगली बार और भी अच्छी फसल की पैदावार हो। बढ़ौना की परम्परा प्रायः घर के मुखिया द्वारा होती है।

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सुबह-सुबह खेतों में जाकर धान की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धान कटाई के बाद खेत के एक कोने में धान की फसल को छोड़ते हैं और उस फसल की पांच मुट्ठी काट कर करपा रखकर काटने वाला औजार हसिया को करपा में रखकर किसान पूजा अर्चना कर  मूर्रा-चना,नारियल और गेहूं आटे का चीला का भोग लगाया जाता है। फिर सभी मजदूर पूजा अर्चना कर किसान के माथे पर तिलक लगाकर आशीर्वाद लेते हैं। वहीं मजदूरों को बढ़ौना के समय किसान बढ़ौना भी दिया जाता है। यह परंपरा पूर्वजों की ओर से ग्रामीण अंचल में चलाते आ रहे हैं और पूजा पाठ होने के पश्चात किसान अपने खेतों में पटाखा भी फोड़ते हैं, जिससे आसपास के किसानों को पता चलता है, कि आज फलाना किसान का बढ़ौना हो रहा है। घर के बच्चे इस पूजा को लेकर खासे उत्साहित होते हैं। आधुनिकता और भागमभाग के बीच में गांव-गांव में आज भी ये परंपरा जीवित है।

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सीएम भूपेल बघेल ने हाल ही में बढ़ौना का जिक्र किया था। सोशल मीडिया में एक फोट शेयर उन्होंने जानकारी दी थी, कि उनकी गैरमौजूदगी में उनकी पत्नी और बेटे ने खेत में ‘बढ़ौना’ का रस्म पूरा किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की पारंपरिक रस्मों और रिवाजों को लगातार निभाते आ रहे हैं।

 

 
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