पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में पुलिस ने कभी शराब नहीं पीने की शपथ ली

पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में पुलिस ने कभी शराब नहीं पीने की शपथ ली

पूर्ण शराबबंदी वाले बिहार में पुलिस ने कभी शराब नहीं पीने की शपथ ली
Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 pm IST
Published Date: December 22, 2020 11:45 am IST

पटना, 21 दिसम्बर (भाषा) बिहार में सभी पुलिसकर्मियों ने जीवन में कभी भी शराब नहीं पीने की शपथ ली है।

बिहार के सभी जिलों में पुलिसकर्मियों को यह शपथ सोमवार को दिलायी गयी जिसमें प्रदेश में तैनात करीब 80,000 पुरुषों और महिला पुलिसकर्मियों ने भाग लिया।

बिहार में पूर्णशराबंदी अप्रैल 2016 में लागू की गयी थी और पिछले कुछ सालों के दौरान यह राज्य में अपनी तरह का तीसरा अभियान था।

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इस अभियान में हिस्सा लेने वाले बिहार के पुलिस महानिदेशक एस के सिंघल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘निषेध कानून को लागू करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हमें इसे बार-बार खुद को याद दिलाना होगा।’’

उन्होंने कहा कि शपथ के दौरान आजीवन शराब नहीं पीने और इसके कारोबार में शामिल नहीं होने की शपथ को दोहराया गया और एक छोटे शपथपत्र पर हस्ताक्षर किया गया।

समझा जा रहा है कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया कवायदों में से एक है जिन्होंने हाल ही में कानून और व्यवस्था की स्थिति और शराब बंदी के सख्त क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए अपने कार्यालय में एक बैठक आयोजित की थी ।

अप्रैल 2016 में लागू निषेध कानून 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य की महिला मतदाताओं से नीतीश कुमार द्वारा किए गए एक वादे का पालन था कि अगर वह सत्ता में लौटते हैं तो शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

बिहार में शराबबंदी के पूर्व के वर्षों में राज्य ने उत्पाद शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई थी, भले ही शहरों, कस्बों और गांवों में शराब की दुकानों के प्रसार की व्यापक आलोचना की गई थी।

विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बिहार में पूर्णशराबबंदी के बावजूद प्रभावशाली राजनेताओं और नौकरशाहों के संरक्षण में इसकी घर पर आपूर्ति जारी है जबकि इसके कठोर प्रावधानों का गलत इस्तेमाल करते हुए कई निर्दोष गरीबों को गिरफ्तार किया गया।

पुलिसकर्मियों के खुद को नशे में पकड़े जाने, शराब से भरे वाहनों को ‘‘कट’’ प्राप्त करके जाने देने और यहां तक कि जब्त की गई शराब की बिक्री में शामिल होने के उदाहरणों के कारण राज्य सरकार को कई बार शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है।

बहरहाल राज्य के गृह विभाग का दावा है कि इसका उल्लंघन करने पर ‘‘सैकड़ों’’ पुलिस अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा है और 60 से अधिक को निषेध कानून के उल्लंघन में उनकी भागीदारी के लिए अब तक सेवा से बर्खास्त किया गया है।

भाषा अनवर अमित

अमित


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