...और ऐसे बचाया गया बड़वानी का राजघाट | Rajghat of such a saved Batwani

…और ऐसे बचाया गया बड़वानी का राजघाट

...और ऐसे बचाया गया बड़वानी का राजघाट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : September 16, 2017/1:24 pm IST


दिल्ली में जिस तरह यमुना किनारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट है, ठीक वैसे ही एक और राजघाट मध्यप्रदेश के बड़वानी में नर्मदा तटी के तट पर भी है। खास बात ये है कि दिल्ली स्थित राजघाट पर सिर्फ बापू की अस्थियां हैं, लेकिन बड़वानी में बनाई गई समाधि में महात्मा गांधी ही नहीं, कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव रहे महादेव देसाई की देह-राख भी रखी हुई है। पिछले कुछ समय से इस धरोहर को लेकर चिंता जताई जा रही थी क्योंकि सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने के बाद से इस राजघाट का डूबना तय हो गया था। समय के साथ बड़वानी राजघाट की अवस्था भी काफी बिगड़ गई थी। गांधीवादियों, स्थानीय लोगों ने इसे लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद बड़वानी प्रशासन वैकल्पिक इंतजाम में जुटा था।

बाद में ये निर्णय लिया गया कि डूब क्षेत्र से राजघाट को सुरक्षित क्षेत्र ले जाकर प्रतिष्ठापूर्वक पुनर्स्थापित किया जाए। इसके बाद ज़मीन सुनिश्चित की गई और फिर श्रमदान के जरिये राजघाट को पुनर्स्थापित करने का काम किया गया। समाधि स्थल पर संगमरमर के शिलालेख में 6 अक्टूबर, 1921 में महात्मा गांधी के ‘यंग इंडिया’ में छपे लेख का अंश दर्ज है। इसमें लिखा है, “हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति और हमारा स्वराज अपनी जरूरतें दिनों दिन बढ़ाते रहने पर, भोगमय जीवन पर, निर्भर नहीं करते, परंतु अपनी जरूरतों को नियंत्रित रखने पर, त्यागमय जीवन पर, निर्भर करते हैं।” ये गांधी दर्शन मौजूदा पीढ़ी को राष्ट्रपिता के विचारों को समझने में मददगार साबित होगा।

मध्यप्रदेश के बड़वानी के राजघाट को नया स्वरुप दिए जाने के बाद बड़वानी कलेक्टर ने गांधी हेरिटेज़ की तस्वीरें ट्वीट की हैं, जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रिट्वीट किया है। इनसे पता चलता है कि राजघाट को पुनर्स्थापित करने का जो काम चल रहा था, उसे पूरा कर लिया गया है। इसमें स्थानीय लोगों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी श्रमदान किया है।

 
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