'राजस्व के मामले पेंडिंग मिले तो कलेक्टरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा' | Shivraj Singh's Statement on Painding Revenue Case

‘राजस्व के मामले पेंडिंग मिले तो कलेक्टरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा’

'राजस्व के मामले पेंडिंग मिले तो कलेक्टरी करने लायक नहीं छोड़ूंगा'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : August 3, 2017/3:10 am IST

एक ओर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते हैं एक महीने बाद राजस्व के मामले पेंडिंग मिले तो कलेक्टरी करने लायक नहीं छोडूंगा. लेकिन दूसरी ओर राजस्व अमले की भारी कमी बताकर मुख्यसचिव ने कहा कि पेंडिंग मामले निपटाने के लिए दो महीने की टाइम लिमिट दी जाएगी. यानी मध्यप्रदेश सरकार के दो शिखरों में ही राजस्व के मामलों को लेकर मतभेद है. वो भी ऐसे समय में जब प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग पड़ी है।

मध्यप्रदेश में शासन का सबसे बड़ा सिरदर्द इन दिनों राजस्व विभाग के मामलों का निपटारा है. ये चिंता इसलिए भी बड़ी है क्योंकि सभी जिलों के कलेक्टर्स ने रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम के पोर्टल में पिछले दस दिनों में तकरीबन 3 लाख केस अपलोड किए. बड़ी संख्या में पेंडिंग केस को लेकर सरकार का कहना है कि राजस्व विभाग के अमले में कमी भी इसका एक बड़ा कारण है। आंकड़ों के मुताबिक  मध्य प्रदेश में इस समय करीब 9 हजार 5 सौ पटवारी कार्यरत हैं, जबकि नए हल्के बनने के बाद प्रदेश में कुल 23 हजार पटवारियों की जरूरत है. यानी साढ़े 13 हजार पटवारियों की कमी है। प्रदेश में कुल 219 तहसीलदार कार्यरत हैं जबकि स्वीकृत पद 519 हैं। वहीं, प्रदेश में लगभग 18 सौ राजस्व निरीक्षक कार्यरत हैं, जबकि जमीनी हालात को देखते हुए ढाई हजार राजस्व निरीक्षक होने चाहिए। 

 दरअसल पिछले दिनों भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने राजस्व के पेंडिंग मामलों को लेकर कलेक्टर्स को फटकार लगाई थी। सीएम की चेतावनी के बाद कलेक्टरों को राजस्व के मामले निपटाने के लिए दो महीने का अल्टीमेटम दिया गया है। खुद प्रशासन के मुखिया स्वीकार करते है कि पेंडिंग केस का कारण राजस्व अमले की कमी है. जो कि दूसरे कामों में भी व्यस्त रहते हैं। नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय के महीनों चक्कर काट रहे एक किसान से समझा जा सकता है कि पेंडेंसी के पीछे का असली दर्द क्या है. सीएम की सख्ती, सीएस की टाइम लिमिट और राजस्व के मामलों का पहाड. अगर आने वाले दिनों में राजस्व के केस नहीं निपटे तो सरकार के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं।