इलाहाबादी अमरूद के उत्पादन और खेती के रकबे में गिरावट |

इलाहाबादी अमरूद के उत्पादन और खेती के रकबे में गिरावट

इलाहाबादी अमरूद के उत्पादन और खेती के रकबे में गिरावट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : August 9, 2022/12:22 pm IST

कौशांबी, नौ अगस्त (भाषा) अपने बेहतरीन जायके के लिए मशहूर इलाहाबादी अमरूद के उत्पादन में इस बार फसल में रोग लगने और बागों का रकबा सिकुड़ने के कारण गिरावट आई है।

किसानों के मुताबिक, इलाहाबादी अमरूद की फसल में इस बार उकता रोग लगने के कारण उत्पादन कम हुआ है। उन्होंने कहा कि अब अमरूद की खेती पहले की तुलना में कम लाभदायक रह गई है।

हालांकि, अमरूद की इस किस्‍म की पहचान इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के नाम से की जाती है, मगर इसके उत्‍पादन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्‍सा कौशांबी में पड़ता है। करीब 25 साल पहले इलाहाबाद को विभाजित कर कौशांबी जिला बनाया गया था।

सिराथू के अमरूद उत्‍पादक किसान राजेश कुशवाहा और महंत कुमार कुशवाहा ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “अमरूद की खेती पहले के मुकाबले कम लाभदायक रह गई है। इस बार अमरूद की फसल में उकता रोग भी लग गया है, जिससे उसका उत्‍पादन घट गया है।”

उन्होंने बताया कि अत्‍यधिक गर्मी पड़ने और बारिश देरी से होने के कारण अमरूद समय से तैयार नहीं हो सका, नतीजतन उसमें रोग लग गया।

दोनों किसानों के मुताबिक, अमरूद के पौधे चार-पांच साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं, लेकिन अनुकूल मौसम नहीं मिलने पर वे मुरझाकर सूखने लगते हैं, जिससे उत्‍पादन घट जाता है और उत्‍पादकों को नुकसान होता है।

जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भास्कर ने कहा, “अभी कौशांबी के सिराथू, कुरहा, मूरतगंज, चायल और नेवादा में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद की खेती की जाती है। राज्‍य सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के तहत अमरूद को कौशांबी जिले से फल के रूप में चुना गया है।”

उन्‍होंने बताया कि इलाहाबादी अमरूद की तीन किस्में-सुरखा, सफेदा और ललित (लाल बीज) होती हैं। कौशांबी में मुख्य रूप से सुरखा और सफेदा किस्मों की खेती की जाती है।

जिला कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इलाहाबादी अमरूद के उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को रियायती दर पर पौधे देने के साथ-साथ इसके उत्‍पादकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

प्रयागराज स्थित खुसरो बाग के प्रशिक्षण प्रभारी विजय किशोर सिंह ने बताया, “फल का बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए किसानों को मई-जून में प्रशिक्षण दिया गया था। उन्हें पौधों को विभिन्न रोगों से बचाने के उपाय भी बताए गए गए थे।”

सिंह के अनुसार, अमरूद की एक नयी किस्म ‘लखनऊ-49’ विकसित की गई है। उन्होंने बताया कि चूंकि, सुरखा और सफेदा की तुलना में इसके पौधे के मुरझाने की आशंका कम होती है, लिहाजा किसानों को ‘लखनऊ-49’ किस्म के अमरूद उगाने की सलाह दी गई है।

भाषा

सं सलीम

मनीषा पारुल

पारुल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers