Yadav Kathavachak Controversy/Image Credit: IBC24 File
Yadav Kathavachak Controversy: इटावा। इटावा के दंदारपुर गांव में कथित तौर पर जाति के आधार पर कथा वाचक और उनके सहयोगी के मुंडन की घटना के कुछ दिन बाद बीते गुरुवार को तनाव उस समय और बढ़ गया जब यादव समूह के सदस्यों ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
दो कथावाचकों के साथ अमानवीय व्यवहार
दरअसल, दंदारपुर गांव में 22-23 जून की रात को दो भागवत कथा वाचकों मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव को कथित तौर पर ‘‘ऊंची जाति’’ के लोगों द्वारा मुंडन करा दिया गया और अपमानित किया गया, क्योंकि कथा वाचक यादव जाति के हैं। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ, जिसमें कुछ लोगों को कथित तौर पर यह कहते सुना जा सकता है ‘‘ब्राह्मणों के गांव में आने की सजा मिल रही है।’’ सपा ने भी यह वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है।
जातिवादी रंग देने का आरोप
इटावा में इस घटना को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर इस घटना को जातिवादी रंग देने का आरोप लगाया और स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में कभी भी जाति को आधार नहीं बनाती। मंत्री ने घटना के बाद प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की प्रतिबद्धता को भी जाहिर किया।
पूरे प्रदेश के जिलों को सतर्क
मंत्री ने कहा कि, ‘‘इस घटना के बाद पूरे प्रदेश के जिलों को सतर्क कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी लापरवाही हुई होगी, उसकी जांच की जाएगी। सभी सबूतों और पहचान के आधार पर दोषियों को चिह्नित किया जाएगा। निर्दोष के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। वीडियो के प्रसारित होने के बाद दंदारपुर के निवासी के निवासी चार आरोपियों आशीष तिवारी, उत्तम कुमार अवस्थी, निक्की अवस्थी और मनु दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
राजमार्ग और गांव में पुलिस की तैनाती
पुलिस के अनुसार, इस घटना के विरोध में गुरुवार अपराह्न आगरा-कानपुर राजमार्ग के पास और बकेवर क्षेत्र के दंदारपुर गांव में बड़ी भीड़ जमा होने लगी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि, ‘‘सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना मिली थी कि कुछ समूह तीन दिन पहले दंदारपुर गांव में हुई घटना के विरोध में प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। तदनुसार, कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शहर, राजमार्ग और गांव में पुलिस की तैनाती की गई।’’
हिरासत में 20 लोग
एसएसपी ने कहा कि, ‘‘दोपहर करीब डेढ़ बजे आगरा-कानपुर राजमार्ग पर काफी भीड़ जमा होने लगी। अधिकांश लोगों को वहां से हटने के लिए समझा लिया गया, लेकिन कुछ लोगों ने जबरन दंदारपुर गांव में घुसने की कोशिश की, जिससे शांति भंग होने जैसी स्थिति पैदा हो गई।’’ श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि 20 लोगों को हिरासत में लिया गया और टाटा सफारी समेत 13 वाहनों को जब्त किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित धाराओं के तहत आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है। कानून-व्यवस्था नियंत्रण में है और स्थिति सामान्य है।’’ इससे पहले दिन में यादव समूहों के सैकड़ों सदस्य पीड़ितों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बकेवर थाने का घेराव करने पहुंचे।
पुलिस ने किया लाठी चार्ज
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीश चंद्र ने संवाददाताओं को बताया कि, पुलिस ने आगे बढ़ रही भीड़ को रोकने का प्रयास किया, लेकिन तीखी नोकझोंक हुई। इसके बाद भी जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते रहे, तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठियां भांजी। भीड़ ने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिससे पुलिस जीप का शीशा क्षतिग्रस्त हो गया। कुछ प्रदर्शनकारी आगरा-कानपुर राजमार्ग की ओर चले गए।
अखिलेश यादव ने की घटना की निंदा
इस बीच, पीड़ितों ने आरोप लगाया कि, उनसे उनकी जाति के बारे में पूछताछ की गई, पहचान दिखाने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें अपमानित किया गया। संत सिंह यादव ने कहा, ‘‘मुझे पूरी रात प्रताड़ित किया गया। मेरा सिर मुंडवा दिया गया और उन्होंने मुझ पर मूत्र छिड़का और कहा कि यह मुझे शुद्ध करने के लिए है।’’ अखिलेश यादव ने घटना की निंदा करते हुए इसे संवैधानिक मूल्यों का घोर उल्लंघन बताया और तीन दिन के भीतर कार्रवाई न होने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी।
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— IBC24 News (@IBC24News) June 23, 2025