सपा के पीडीए का मतलब 'परिवार विकास प्राधिकरण' है : सिंह |

सपा के पीडीए का मतलब ‘परिवार विकास प्राधिकरण’ है : सिंह

सपा के पीडीए का मतलब 'परिवार विकास प्राधिकरण' है : सिंह

:   Modified Date:  May 2, 2024 / 02:21 PM IST, Published Date : May 2, 2024/2:21 pm IST

(अभिनव पांडेय)

मैनपुरी (उप्र), दो मई (भाषा) मैनपुरी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा गढ़े गए शब्द ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) पर तंज करते हुए इसे ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ करार दिया और दावा किया कि सपा के पीडीए से तंग आ चुकी मैनपुरी की जनता इस बार भाजपा को वोट देगी।

राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 220 किमी दूर मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र सपा का गढ़ है और पार्टी ने लगभग तीन दशकों से यह सीट बरकरार रखी है।

मैनपुरी सदर से मौजूदा विधायक ठाकुर जयवीर सिंह को भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा सीट से टिकट दिया है। सिंह का मुकाबला सपा उम्मीदवार डिंपल यादव से है, जो पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी हैं।

सिंह ने ‘पीटीआई—भाषा’ से बातचीत में दावा किया कि मैनपुरी की जनता सपा के पीडीए यानी परिवार विकास प्राधिकरण से तंग आ चुकी है और इस बार वह भाजपा को वोट देगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे 100 प्रतिशत विश्वास है कि भाजपा इस बार सीट जीतेगी। सपा का पीडीए सैफई (यादव परिवार का पैतृक गांव) का ‘परिवार विकास प्राधिकरण’ है और इसमें दूसरों के शामिल होने की कोई गुंजाइश नहीं है।’’

सिंह के अनुसार, पहले कहा जाता था कि सपा यादवों की पार्टी है लेकिन अब लोगों को एहसास हो गया है कि यह केवल एक कुनबे या एक कबीले की पार्टी है।

उन्होंने कहा कि हर दिन सपा से बड़ी संख्या में लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं क्योंकि उन्हें पार्टी में कोई भविष्य नहीं दिख रहा है।

सिंह ने डिंपल के अलावा आजमगढ़ से यादव परिवार के धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, बदायूं से आदित्य यादव को टिकट देने का जिक्र करते हुए कहा, ”उन्होंने लोकसभा चुनाव में अपने परिवार के पांच सदस्यों को टिकट दिया और पिछड़ों की अनदेखी की। अखिलेश खुद मैनपुरी और कन्नौज से चुनाव लड़ रहे हैं। इससे लोग नाराज हैं।”

सिंह ने कहा कि 2022 में सपा संस्थापक और पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी बहू को उपचुनाव के लिए मैनपुरी से टिकट दिया गया था।

उन्होंने सपा पर वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैनपुरी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बेटी (अदिति यादव) और पूनम रावत (डिंपल यादव की बहन) भी आ गई हैं। सपा के ही लोग देख सकते हैं कि उनका कोई भविष्य नहीं है और वे हतोत्साहित हैं। इसलिए वे भाजपा में आ रहे हैं।

डिंपल यादव की बेटी आगामी सात मई को मैनपुरी सीट पर होने वाले चुनाव के लिए अपनी मां के पक्ष में प्रचार कर रही हैं।

भाजपा प्रत्याशी ने दावा किया कि वह जहां भी जाते हैं, उन्हें जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि वे अब स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैनपुरी के लोगों ने 2012 से 2017 के बीच सपा शासन के दौरान गुंडागर्दी देखी है। अब वह सब खत्म हो गया है। अब परिवर्तन होना ही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाएं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन का प्रभाव यहां के चुनाव नतीजों पर पड़ेगा।’’

सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार ने राज्य में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित किया है। लोग जानते हैं कि अगर वे भाजपा को वोट देंगे तो भविष्य में विकास देखेंगे।

स्थानीय भाजपा विधायक होने के नाते सिंह अपने निर्वाचन क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में किए गए कार्यों पर भी भरोसा कर रहे हैं। वह राज्य के पर्यटन मंत्री हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अकेले मेरे विभाग से विकास परियोजनाओं के लिए 172 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें अखिलेश यादव के करहल विधानसभा क्षेत्र के लिए 15 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।’’

सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के इस बयान पर कि वह मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाएंगी, सिंह ने कहा कि मैनपुरी के लोगों ने ‘नेताजी’ को श्रद्धांजलि देने के लिए 2022 के उपचुनाव में उन्हें वोट दिया था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है क्योंकि स्थिति बदल गई है और लोग मोदी-योगी की जोड़ी पर अधिक भरोसा करते हैं।

मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल और जसवंत नगर हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने करहल, किशनी और जसवंत नगर सीटें जीती थीं जबकि भाजपा ने मैनपुरी और भोगांव सीटें जीतीं।

अखिलेश यादव करहल सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव जसवंत नगर से विधायक हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, मैनपुरी में यादव मतदाताओं की संख्या करीब 3.5 लाख है, 1.5 लाख से ज्यादा ठाकुर, 1.2 लाख ब्राह्मण, 60,000 शाक्य, 1.4 लाख जाटव और एक लाख से ज्यादा लोध मतदाता हैं। मुस्लिम और कुर्मी मतदाता भी करीब एक-एक लाख हैं।

यह सीट 1996 से सपा के पास है जब मुलायम सिंह यादव ने पहली बार यहां से जीत हासिल की थी। इसके बाद 1998 और 1999 में बलराम सिंह यादव ने जीत हासिल की। मुलायम सिंह यादव ने 2004, 2009 और 2014 में फिर जीत हासिल की। सपा संस्थापक ने 2019 में फिर से सीट जीती।

साल 1996 के चुनाव में सपा को 42.77 फीसद वोट मिले थे, जबकि 2022 के उपचुनाव में पार्टी को 64.06 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। वर्ष 2019 में जब मुलायम सिंह 94,000 वोटों के अंतर से जीते थे। तब सपा के वोट प्रतिशत में उल्लेखनीय गिरावट आई थी और उसे 53.66 फीसदी वोट मिले थे।

सपा के जिला अध्यक्ष आलोक शाक्य ने वोट प्रतिशत में गिरावट का कारण पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव के सपा छोड़ने को बताया। 2019 में शिवपाल यादव ने सपा छोड़ दी थी और पार्टी के ही खिलाफ चुनाव लड़ा था। शाक्य के अनुसार, अब परिवार एकजुट है और इस बार स्थिति अलग है।

मैनपुरी में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में आगामी सात मई को मतदान होगा।

भाषा सलीम मनीषा

मनीषा

 

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