क्या अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पुतिन के खिलाफ मुकदमा चला सकता है ? |

क्या अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पुतिन के खिलाफ मुकदमा चला सकता है ?

क्या अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पुतिन के खिलाफ मुकदमा चला सकता है ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : May 23, 2022/4:35 pm IST

( मोनिक कॉर्मियर, मोनाश विश्वविद्यालय )

मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) , 23 मई (360 इन्फो) यूक्रेन में युद्ध अपराधों के आरोपों पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) तेजी से आगे बढ़ा, लेकिन त्वरित न्याय की तलाश करने वालों को निराशा हो सकती है।

अगर न्याय की प्रक्रिया धीमी होती है तो युद्ध अपराधों के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ मुकदमा चलाने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयास और सुस्त होंगे।

यूक्रेन पर आक्रमण के कुछ ही दिनों के बाद अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोजक करीम खान ने घोषणा की थी कि उनका कार्यालय युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों की जांच करेगा। इस सप्ताह उन्होंने सबूत की तलाश में अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल- 42 अधिकारियों की एक टीम को भेजा।

जांच और सबूत इकट्ठा करने में कई साल लग सकते हैं और इस दौरान केवल कुछ ही गिरफ्तारी वारंट जारी होने की संभावना है। हो सकता है कि कुछ संदिग्ध गिरफ्तारी से बचने में सक्षम हों। इसके बाद हेग में मामला शुरू होने पर लंबी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।

न तो यूक्रेन, ना ही रूस आईसीसी के लिए जिम्मेदार रोम संधि का हिस्सा हैं लेकिन 2014 में यूक्रेन ने अपने क्षेत्र में युद्ध अपराधों पर आईसीसी के अधिकार क्षेत्र को कुछ हद तक स्वीकार किया था। ऐसे में अगर रूस आईसीसी के अधिकार क्षेत्र के लिए राजी नहीं हुआ तो अदालत के पास यूक्रेन के क्षेत्र में युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध या नरसंहार करने वाले संदिग्धों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार होगा।

हालांकि, इस स्थिति में आक्रामकता के अपराध पर आईसीसी का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि रूस का आक्रमण अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आक्रामकता का एक स्पष्ट कार्य है। लेकिन, रोम संधि में आक्रमकता के अपराध को शामिल करने पर चर्चा हुई थी तो अधिकतर सदस्य देशों ने स्पष्ट किया था कि जब तक आक्रमण करने वाले और पीड़ित देश राजी नहीं होंगे तब तक उसका अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।

ऐसी स्थिति में अगर आक्रमण करने वाला देश रूस अगर आईसीसी के अधिकार क्षेत्र के किसी भी पहलू पर राजी नहीं हुआ तो आक्रामकता के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा।

ऐसे में जांच कैसे आगे बढ़ेगी और किन्हें मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है?

आईसीसी के पास एक स्वतंत्र अभियोजक है, जिसकी टीम जांच करने और यह तय करने के लिए जिम्मेदार है कि किन व्यक्तियों पर एक या अधिक अपराधों का आरोप लगाया जाए। राष्ट्रीय कानूनी प्रणालियों में अभियोजकों की तरह आईसीसी के अभियोजक एक मुकदमे में अभियुक्त के खिलाफ सबूत पेश करने और न्यायाधीशों को आरोपी के अपराध के लिए आश्वस्त करने को लेकर जिम्मेदार हैं। आईसीसी में कोई जूरी नहीं है, इसके बजाय अंतरराष्ट्रीय न्यायाधीशों का एक पैनल है।

जांच में काफी समय लगने की संभावना है और हेग में किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को अदालत में मुकदमों का सामना करने में निश्चित रूप से कई साल लगेंगे। आईसीसी के पास अपना पुलिस बल नहीं है और वह संदिग्धों को गिरफ्तार करने तथा उन्हें अदालत में स्थानांतरित करने के लिए देशों पर निर्भर है। आईसीसी द्वारा वांछित कोई भी रूसी नागरिक रूस के बाहर यात्रा करने से बचकर सैद्धांतिक रूप से गिरफ्तारी से बच सकता है।

आईसीसी के पास हर उस व्यक्ति का पीछा करने के लिए संसाधन नहीं हैं जिसने अपराध किया है और यह उम्मीद की जाती है कि ‘छोटे-स्तर’ के अपराधियों पर स्थानीय आपराधिक अदालतों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए। जैसा कि 21 वर्षीय वादिम शिशिमारिन के मामले में हुआ है। वर्तमान में यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए रूसी सैनिक शिशिमारिन के खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा है।

कई देशों के पास अब अंतरराष्ट्रीय अपराधों से संबंधित अपने स्वयं के कानून हैं और उन्हें युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, भले ही वे दुनिया में कहीं और किए गए हों (इसे सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र के रूप में जाना जाता है)।

आईसीसी वरिष्ठ सैन्य और असैन्य नेताओं पर मुकदमा चला सकता है और ऐसा किया भी है, भले ही उन्होंने कभी भी खुद से अपराध नहीं किया हो या संघर्ष क्षेत्र में कदम नहीं रखा हो।

‘कमान जिम्मेदारी’ नामक एक अवधारणा के माध्यम से वरिष्ठ नेताओं को अपने अधीनस्थों के कार्यों के लिए आपराधिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है यदि उन्हें पता हो कि अपराध किए जा रहे थे। इस संभावना के बारे में भी चर्चा हुई है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर स्वयं आईसीसी द्वारा ‘कमान जिम्मेदारी’ का इस्तेमाल करके मुकदमा चलाया जा सकता है।

यहां एक तथ्य यह भी है कि मौजूदा राष्ट्रपति के रूप में पुतिन अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विदेशी न्यायालयों में आपराधिक मुकदमा का सामना करने से मुक्त हैं। आईसीसी खुद सामान्य रूप से ऐसी छूट को मान्यता नहीं देता है, लेकिन एक ऐसे देश के मौजूदा राष्ट्रपति के रूप में पुतिन की स्थिति अभी भी उन्हें अदालत के अधिकार क्षेत्र से बचा सकती है जो आईसीसी का हिस्सा नहीं है।

आईसीसी ने अतीत में देशों के प्रमुखों पर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया है, लेकिन उसने ऐसा तब किया जहां राष्ट्रपति एक सदस्य राष्ट्र से थे, या जहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) आईसीसी को संदर्भ भेजने में शामिल रही है। रूस के यूएनएससी का स्थायी सदस्य होने के कारण परिषद मौजूदा संघर्ष में कोई भूमिका नहीं पाई गई है।

लब्बोलुआब यह है कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या आईसीसी, पद पर बने रहने के दौरान पुतिन पर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में सक्षम होगा। यदि अभियोजक उनके खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने का फैसला करता है तो निश्चित रूप से इस पर मुकदमेबाजी होगी कि क्या अदालत के पास ऐसा करने का अधिकार है।

(360 इन्फो)

आशीष मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)