कोलंबो, 29 अप्रैल (भाषा) श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व वाली ‘श्रीलंका फ्रीडम पीपुल्स पार्टी’ (एसएलएफपी) के सदस्यों ने भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले से मुलाकात की और उन्हें देश में मौजूदा राजनीतिक गतिरोध तथा सबसे खराब आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए अपनी एक अंतरिम सरकारी व्यवस्था की योजना के बारे में जानकारी दी।
एसएलएफपी के ये सदस्य श्रीलंका में सत्तारूढ़ ‘श्रीलंका पीपुल्स पार्टी’ (एसएलपीपी) में शामिल हैं, लेकिन इन्होंने अभी बगावती रुख इख्तियार कर रखा है।
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।
एसएलएफपी के महासचिव दयासिरी जयशेखर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अंतरिम सरकारी व्यवस्था के बारे में जानकारी देने के लिए हमने भारतीय उच्चायुक्त से मुलाकात की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह सत्ता के बंटवारे की नहीं बल्कि देश को आर्थिक संकट से उबारने की व्यवस्था है। सांसदों के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है।’’
उन्होंने कहा कि एसएलएफपी और एसएलपीपी के असंतुष्टों की संख्या 50 है, जो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से शुक्रवार को मुलाकात करेंगे। गोटबाया ने पत्र लिखकर संभावित अंतरिम सरकार के बारे में चर्चा करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य दलों को आमंत्रित किया था।
उन्होंने कहा कि वे एक शर्त पर बैठक करने को तैयार हैं कि प्रधानमंत्री (महिंदा राजपक्षे) और मंत्रिमंडल के सदस्यों के बिना बैठक होनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या अंतरिम सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री इस्तीफा देंगे, दयासिरी जयशेखर ने कहा कि ऐसा होने की संभावना नहीं है।
गौरतलब है कि राजपक्षे परिवार पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है और हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर करीब तीन सप्ताह से स्थायी रूप से डेरा डाले हुए हैं।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश
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