यूक्रेन संकट पर भारत ने कहा, कूटनीति और बातचीत का रास्ता ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए |

यूक्रेन संकट पर भारत ने कहा, कूटनीति और बातचीत का रास्ता ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए

यूक्रेन संकट पर भारत ने कहा, कूटनीति और बातचीत का रास्ता ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:04 PM IST, Published Date : May 7, 2022/12:33 pm IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, सात मई (भाषा) भारत ने कहा है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए कूटनीति और बातचीत का रास्ता ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प होना चाहिए और खून बहाकर इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।

भारत ने यूक्रेन में दिन-प्रतिदिन बिगड़ते हालात को लेकर एक बार फिर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कूटनीति और बातचीत के जरिए इसका समाधान निकालने के अपने रुख को दोहराया।

रूस ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद अरिया-सूत्र की बैठक की मेजबानी की जिसमें यूक्रेन की सेना और मिलिशिया द्वारा कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के गंभीर उल्लंघनों के अलावा उनके द्वारा किए गए अन्य युद्ध अपराधों को लेकर चर्चा की गयी।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर प्रतीक माथुर ने कहा कि भारत यूक्रेन में दिन-प्रतिदिन बिगड़ते हुए हालात को लेकर बेहद गंभीर रूप से चिंतित है और सभी पक्षों से हिंसा तथा शत्रुता को तत्काल समाप्त करने का एक बार फिर से आह्वान करता है।

प्रतीक माथुर ने कहा, ‘भारत मानता है कि खून बहाकर और निर्दोष लोगों के जीवन की कीमत पर इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। हमने इस युद्ध की शुरुआत से ही इस बात पर जोर दिया है कि कूटनीति और बातचीत का रास्ता ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प होना चाहिए।’

माथुर ने कहा कि भारत बुका में आम नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा करता है और इसकी स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करता है। इसके अलावा भारत यूक्रेन के लोगों की तकलीफों को कम करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है।

उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी नहीं होगा और इससे प्रभावित सभी लोग पीड़ित होते रहेंगे और अंतत:

भिन्न देशों के कूटनीतिक संबंध प्रभावित होंगे।’

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर ने कहा कि भारत इस बात पर अपनी सहमति व्यक्त करता है कि हिंसाग्रस्त इलाकों से आम नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र और इससे बाहर के सभी मंचों पर इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास करने चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के मॉस्को और कीव दौरे का स्वागत करता है।

भाषा रवि कांत संतोष

संतोष

 

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