भारत की लंबी और विशिष्ट समुद्री परंपरा की सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है: जयशंकर |

भारत की लंबी और विशिष्ट समुद्री परंपरा की सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है: जयशंकर

भारत की लंबी और विशिष्ट समुद्री परंपरा की सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है: जयशंकर

:   Modified Date:  March 26, 2024 / 09:52 PM IST, Published Date : March 26, 2024/9:52 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

मनीला, 26 मार्च (भाषा) फिलीपीन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि भारत की एक लंबी और प्रतिष्ठित समुद्री परंपरा है, जिसकी सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है। उन्होंने यहां के बंदरगाह में भारतीय तटरक्षक पोत के ठहरने की सराहना की, जो मनीला के साथ द्विपक्षीय संबंधों में और अधिक घनिष्ठता को दर्शाता है।

उन्होंने यह टिप्पणी मनीला के बंदरगाह में ठहरे भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) बल के पोत ‘समुद्र पहरेदार’ पर पहुंचने पर की। जयशंकर तीन देशों के अपने दौरे के दूसरे चरण के तहत फिलीपीन में हैं।

जयशंकर ने अलग से रक्षा सचिव गिल्बर्ट टेओडोरो से मुलाकात की और द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की।

उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिलीपीन के रक्षा सचिव गिल्बर्ट टेओडोरो के साथ एक अच्छी बातचीत हुई। हमारी रक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा हुई जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे साझा हितों को दर्शाती है।’’

उन्होंने कहा कि वह क्षमताओं को बढ़ाने, आदान-प्रदान को तेज करने और करीबी संपर्कों को लेकर उत्सुक हैं। भारतीय तटरक्षक बल का पोत ‘समुद्र पहरेदार’ का दौरा करने के दौरान जयशंकर ने कहा कि उनकी यात्रा और पोत की उपस्थिति भारत-फिलीपीन के गहरे होते संबंधों का प्रतीक है।

भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भारत की एक लंबी और विशिष्ट समुद्री परंपरा है, जिसकी सभ्यतागत छाप अब भी इस क्षेत्र में दिखाई देती है। आज, हमारी ‘ऐक्ट-ईस्ट नीति’ और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण ने इसे और अधिक समकालीन रूप दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आसियान के साथ हमारा सहयोग उन प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पहलू है… हमने आसियान-भारत समुद्री अभ्यास की शुरुआत भी देखी है। समुद्री यात्रा करने वाले राष्ट्रों के रूप में, यह हमारे बीच एक मजबूत द्विपक्षीय संबंध है।’’

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के तटरक्षकों के बीच सहयोग को पिछले साल बनी समुद्री सहयोग में बढ़ोतरी की समझ से मदद मिली है।

उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारत में विशेषज्ञता वाले प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय तटरक्षक द्वारा आयोजित खोज और बचाव एवं प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यासों में फिलीपीन की उपस्थिति को महत्व देते हैं। फिलीपीन में इस प्रदूषण नियंत्रक पोत की यात्रा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन साझा चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, जिनका हम सामना करते हैं।

उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों को एक-दूसरे के साथ मिलकर और अधिक काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई कि पोत राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के कैडेट को ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि अपने कॉलेज के दिनों के दौरान वह भी एनसीसी का हिस्सा थे।

एक विदेशी विनिमय कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एनसीसी के कैडेट, आईसीजी पोत के चालक दल, भागीदार एजेंसियों के कर्मी, भारतीय दूतावास या मिशन के कर्मचारियों और स्थानीय युवा संगठनों के समन्वय से पोत के बंदरगाह पर ठहराव के दौरान समुद्र तट की सफाई और इसी तरह की अन्य गतिविधियां करेंगे। आईसीजी का यह पोत तीन दिवसीय यात्रा पर 25 मार्च को मनीला खाड़ी में पहुंचा।

प्रदूषण के प्रति प्रतिक्रिया के लिहाज से यह पोत विशेष समुद्री प्रदूषण नियंत्रक उपकरण और एक चेतक हेलीकॉप्टर से सुसज्जित है। इस पोत को गिरे हुए तेल को रोकने और उसे एकत्र करने और ऑपरेशन को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

नयी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि आईसीजी के पोत को 25 मार्च से 12 अप्रैल तक आसियान देशों – फिलीपीन, वियतनाम और ब्रुनेई में तैनात किया जाएगा।

बयान में कहा गया है कि भारतीय तटरक्षक द्वारा आसियान देशों में यह लगातार तीसरी तैनाती है। इससे पहले वर्ष 2023 में आईसीजी के प्रदूषण नियंत्रक पोतों ने कंबोडिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड और इंडोनेशिया का दौरा किया था।

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)