कई ‘ऑटिस्टिक’ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं |

कई ‘ऑटिस्टिक’ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं

कई ‘ऑटिस्टिक’ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : August 7, 2022/5:54 pm IST

(लॉरेन गिलिज-वाकर, पीएचडी शोधकर्ता / एसोसिएट लेक्चरर, यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ स्कॉटलैंड और नईम रमजान, प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट ऑफ स्कॉटलैंड)

एडिनबर्ग (ब्रिटेन), सात अगस्त (द कन्वरसेशन) कई ‘ऑटिस्टिक’ (स्व:लीन) लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं। इससे चिंता, अवसाद, क्रोध और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है।

स्व:लीनता (ऑटिज्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है।

शोध से पता चलता है कि ऑटिस्टिक वयस्कों को अपने साथियों की तुलना में अवसाद और चिंता का अनुभव होने की अधिक आशंका है।

एक ऐसे भविष्य की कल्पना करें, जहां तकनीक लोगों को उनकी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद कर सके। ऑटिस्टिक लोगों के लिए तकनीकी समाधान विकसित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को उनकी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करना है।

कुछ ऑटिस्टिक लोग अपने तनाव के स्तर पर नजर रखने के लिए ‘डिजिटल हार्ट रेट मॉनिटर’ जैसी तकनीक को अपना रहे हैं। कई अध्ययनों के जरिये ऑटिस्टिक लोगों द्वारा अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट घड़ियों, वर्चुअल रियलिटी (वीआर) या ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (बीसीआई) जैसी पहनने योग्य तकनीक के उपयोग का पता लगाया गया है।

हमारे अध्ययन से पहले किसी ने ऑटिस्टिक समुदाय से उनके विचार नहीं पूछे कि तकनीक कितनी उपयोगी है। इस तकनीक के ऑटिस्टिक उपयोगकर्ताओं के लिए खराब उपयोगिता एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है।

हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि ऑटिस्टिक लोगों के लिए पहनने योग्य तकनीकों में से केवल 10 प्रतिशत ने उनकी जरूरतों को पूरा किया और 90 प्रतिशत ने ऑटिस्टिक लक्षणों को कमियों के रूप में देखा जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है।

हमारे हालिया अध्ययन ने किसी भी तकनीक पर ऑटिस्टिक समुदाय के विचारों का पता लगाया जो उन्होंने पहले उनकी भावनाओं और उनके विचारों को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए इस्तेमाल किया था।

चौंतीस ऑटिस्टिक व्यक्तियों और उनके सहयोगियों (परिवार, स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल पेशेवर और कॉलेज स्टॉफ) ने समूहों में भाग लिया।

ऑटिज्म के साथ जीवन:

एक प्रतिभागी ने बताया कि उनकी बेटी भावनात्मक चुनौतियों से कैसे निपटती है: ‘‘वह बिल्कुल ठीक दिखती है और वह बिल्कुल ठीक व्यवहार कर रही है।’’

इस बीच एक देखभाल कर्मी ने इस बारे में बात की कि यह समझना कितना महत्वपूर्ण है कि ऑटिस्टिक लोग कैसा महसूस कर रहे हैं।

एक अन्य देखभाल कर्मी ने कहा: ‘‘हम जानते हैं कि एक पद्वति हो सकती है लेकिन हम इसे नहीं देख सकते हैं।’’

प्रतिभागियों ने हमें बताया कि तकनीक सभी अंतर ला सकती है।

ज्यादातर शोध ऑटिज्म के बारे में पुराने सिद्धांतों पर आधारित हैं, जैसे कि यह एक चिकित्सा बीमारी है जिसे ठीक किया जा सकता है या इलाज किया जा सकता है।

ऑटिस्टिक प्रतिभागियों ने सहमति व्यक्त की कि ऑटिज्म को छिपाने की कोशिश करने के बजाय तकनीकी डिजाइनों को स्वतंत्रता को बढ़ावा देना चाहिए।

हमारे अध्ययन के नतीजों ने उन रणनीतियों के महत्व पर जोर दिया जो किसी व्यक्ति के जीवन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हैं।

हालांकि नई तकनीकों को विकसित करने पर बहुत सारा पैसा खर्च किया जाता है, लेकिन शोधकर्ता और स्वास्थ्य सेवा संगठन दोनों अक्सर यह विचार करने में विफल होते हैं कि इसे व्यवहार में कैसे लागू किया जाएगा।

ऑटिज्म दुनिया को देखने का एक अलग तरीका है। यह नया दृष्टिकोण न केवल उपयोगी तकनीक आधारित रणनीतियों को विकसित करने में मदद करेगा बल्कि यह सभी के लिए अधिक समावेशी वातावरण बनाने में भी सहायता करेगा।

द कन्वरसेशन

देवेंद्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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