कोलंबो, 13 मई (भाषा) श्रीलंका में ज्यादातर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की अंतरिम सरकार में शामिल नहीं होंगे लेकिन कर्ज में डूबे देश की स्थिति में सुधार में मदद की खातिर बाहर से आर्थिक नीतियों का समर्थन करेंगे।
यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) ने बृहस्पतिवार को श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली जब देश में सोमवार से कोई सरकार नहीं थी। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने देश में हिंसा भड़कने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
निर्दलीय समूह के सांसद विमल वीरवांसा ने कहा, ‘हम इस राजपक्षे-विक्रमसिंघे सरकार का हिस्सा नहीं बन सकते।’
जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने कहा कि वे भी सरकार का हिस्सा नहीं होंगे वहीं मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने कहा कि यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे की कोई वैधता नहीं है क्योंकि वह 2020 के संसदीय चुनाव में भी नहीं निर्वाचित हुए थे।
एसजेबी के महासचिव आर. एम. बंडारा ने कहा कि पार्टी मंत्री पद स्वीकार नहीं करेगी और विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग करेगी।
जेवीपी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के फैसले का मजाक उड़ाते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति की कोई वैधता नहीं है और इसका कोई लोकतांत्रिक मूल्य नहीं है।
उन्होंने कहा, “विक्रमसिंघे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला, सरकारें बनाईं, और इसके बावजूद पिछले आम चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सके। उनके पास, संसद में प्रवेश करने के लिए आवश्यक वोट भी नहीं थे। अगर चुनाव का इस्तेमाल लोगों की सहमति को मापने के लिए किया जाता है, तो चुनावों ने स्पष्ट किया है कि उनके पास कोई जनादेश नहीं है और इसलिए लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया था।’’
भाषा अविनाश नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
पुल का एक हिस्सा गिरने के बाद बाल्टीमोर में नए…
4 hours ago