पाकिस्तानी अदालत ने ईसाई दम्पति को ईशनिंदा आरोपों से बरी किया | Pakistani court acquits Christian couple of blasphemy charges

पाकिस्तानी अदालत ने ईसाई दम्पति को ईशनिंदा आरोपों से बरी किया

पाकिस्तानी अदालत ने ईसाई दम्पति को ईशनिंदा आरोपों से बरी किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : June 4, 2021/3:01 pm IST

(एम जुल्करनैन)

लाहौर, चार जून (भाषा) पाकिस्तान की एक शीर्ष अदालत ने सात साल पहले एक ईसाई दंपति को निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा रद्द कर दी और उन्हें ‘‘सबूत की कमी’’ का हवाला देते हुए ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया।

शफकत इमैनुएल मसीह और उसकी पत्नी शगुफ्ता कौसर को अब रिहा किये जाने की उम्मीद है जो फांसी की सजा के इंतजार में सात साल से जेल में थे।

टोबा टेक सिंह जिले में गोजरा के सेंट कैथेड्रल स्कूल के चौकीदार मसीह और कौसर को जुलाई, 2013 में ‘‘शिकायतकर्ताओं – दुकानदार मलिक मोहम्मद हुसैन और गोजरा तहसील बार के पूर्व अध्यक्ष अनवर मंसूर गोरया को ईशनिंदा संदेश भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि दंपति ने संदेश में ईशनिंदा की थी। हालांकि, शगुफ्ता अनपढ़ होने के कारण पढ़-लिख भी नहीं पाती। प्राथमिकी में उसका नाम शुरू में नहीं था।

2014 में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश (टोबा टेक सिंह) आमिर हबीब ने ईसाई दम्पति को ईशनिंदा के लिए मौत की सजा सुनायी और शिकायतकर्ताओं की गवाही और दम्पति की ‘‘स्वीकारोक्ति’’ के आलोक में प्रत्येक पर 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

दंपति ने लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) में अपनी अपील में कहा कि पुलिस ने ‘दबाव में’ उनका कबूलनामा लिया है।

एलएचसी ने उन्हें ‘सबूत की कमी’ के कारण ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया।

न्यायमूर्ति सैयद शाहबाज अली रिज़वी और न्यायमूर्ति तारिक सलीम शेख की की सदस्यीय खंडपीठ ने दंपति के खिलाफ निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए मामले में ‘सबूतों की कमी’ का हवाला देते हुए उन्हें बरी कर दिया।

भाषा अमित उमा

उमा

 

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