भारतीय मूल की तीन महिला वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया की एसटीईएम सुपरस्टार के तौर पर चयनित : रिपोर्ट |

भारतीय मूल की तीन महिला वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया की एसटीईएम सुपरस्टार के तौर पर चयनित : रिपोर्ट

भारतीय मूल की तीन महिला वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया की एसटीईएम सुपरस्टार के तौर पर चयनित : रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 30, 2022 / 05:16 PM IST, Published Date : November 30, 2022/5:16 pm IST

मेलबर्न, 30 नवंबर (भाषा) ऑस्ट्रेलिया में एसटीईएम सुपरस्टार के तौर पर चयनित 60 वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों, इंजीनियरों और गणितज्ञों में तीन भारतीय मूल की महिलाएं भी शामिल हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई।

एसटीईएम एक पहल है जिसका उद्देश्य वैज्ञानिकों के बारे में समाज की लैंगिक धारणाओं को तोड़ना और महिलाओं और महिला व पुरुष की लैंगिक धारणा से इतर लोगों की सार्वजनिक दृश्यता में वृद्धि करना है।

‘द ऑस्ट्रेलिया टुडे’ की खबर में कहा गया कि विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश का शीर्ष निकाय ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑस्ट्रेलिया’ (एसटीए) विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में कार्यरत 60 ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों को मीडिया की सुर्खियों में आने और सार्वजनिक आदर्श बनने के लिए समर्थन करता है। एसटीए 1,05,000 वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

इस वर्ष एसटीईएम के सुपरस्टार के रूप में पहचाने जाने वालों में भारतीय मूल की तीन महिलाएं – नीलिमा कडियाला, डॉ. एना बाबूरमानी और डॉ. इंद्राणी मुखर्जी- शामिल हैं।

‘चैलेंजर लिमिटेड’ में एक आईटी प्रोग्राम मैनेजर कडियाला के पास वित्तीय सेवाओं, सरकार, टेल्को और एफएमसीजी सहित कई उद्योगों में व्यापक परिवर्तनकारी कार्यक्रम देने का 15 वर्षों का अनुभव है।

खबर में कहा गया कि वह अंतरराष्ट्रीय छात्र के तौर पर 2003 में ‘मास्टर ऑफ बिजनेस इन इंफॉर्मेशन सिस्टम्स’ की पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया आई थीं।

दूसरी ओर, बाबूरमानी रक्षा विभाग – विज्ञान और प्रौद्योगिकी समूह में एक वैज्ञानिक सलाहकार हैं और मस्तिष्क कैसे बढ़ता है और कैसे काम करता है, इस पर हमेशा काम करने को उत्सुक रहती हैं।

खबर के मुताबिक, “एक बायोमेडिकल शोधकर्ता के रूप में, वह मस्तिष्क के विकास की जटिल प्रक्रिया और मस्तिष्क आघात में योगदान देने वाले तंत्र को एक साथ जोड़ना चाहती है।”

उन्होंने मोनाश यूनिवर्सिटी से अपनी डॉक्टरेट की उपाधि ली है और यूरोप में 10 सालों तक शोधार्थी के तौर पर काम कर चुकी हैं।

मुखर्जी तस्मानिया विश्वविद्यालय में एक ‘डीप टाइम’ भूविज्ञानी हैं और इस बात पर ध्यान केंद्रित करती हैं कि उस जैविक संक्रमण को किसने चलाया।

वह तस्मानिया में एक शोधकर्ता के रूप में काम कर रही हैं, साथ ही सार्वजनिक संपर्क, भूविज्ञान संचार और विविधता की पहल के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं।

भारतीयों के अलावा श्रीलंका की महिला वैज्ञानिकों का चयन भी इसके लिये किया गया है।

भाषा प्रशांत माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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