freedom of speech on Twitter : वाशिंगटन, 26 अप्रैल (एपी) दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीद रहे हैं और इसके पीछे उन्होंने इस मंच को ‘बोलने की स्वतंत्रता’ का स्थान बनाने का उद्देश्य बताया है।
हालांकि यह सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पहले भी इस रास्ते से गुजर चुका है लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली।
ट्विटर के एक पदाधिकारी ने एक दशक पहले अभिव्यक्ति की अदम्य स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कंपनी को ‘बोलने की आजादी वाली पार्टी की बोलने की आजादी वाली शाखा’ करार दिया था। लेकिन बाद के घटनाक्रमों से ‘बोलने की आजादी’ वाले दावे को लेकर परीक्षा की घड़ी आ गयी जब दमनकारी शासकों ने ट्विटर के उपयोगकर्ताओं पर कार्रवाई शुरू की और खासतौर पर ‘अरब स्प्रिंग’ के मद्देनजर ऐसे मामले सामने आये।
अमेरिका में 2014 में पत्रकार अमांडा हेस के एक विचारोत्तेजक लेख ने ट्विटर या अन्य ऑनलाइन मंचों पर पोस्ट डालने मात्र के लिए अनेक महिलाओं को सहने पड़े उत्पीड़न को उजागर किया गया।
साल दर साल ट्विटर ने व्यापक रूप से एक अनियंत्रित सामाजिक मंच को चलाने के परिणामों को लेकर कुछ चीजें समझीं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण थी कि कपंनियां आमतौर पर हिंसक धमकियों, नफरत भरे भाषणों जैसी विषयवस्तु के साथ अपने विज्ञापन नहीं चलाना चाहतीं।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर बिजनेस एंड ह्यूमन राइट्स में उप निदेशक पॉल बारेट ने कहा, ‘‘यदि आप स्वचालित प्रणालियों और मानवीय समीक्षाओं पर नियंत्रण बंद कर देंगे तो ट्विटर जैसी साइट बहुत कम समय में कूड़ाघर हो जाएगी।’’
बारेट ने बताया कि किस तरह गूगल ने इस बात को बहुत जल्द समझ लिया था जब टोयोटा जैसी बड़ी कंपनियों ने 2015 में उग्रवादियों के यूट्यूब वीडियो से पहले अपने विज्ञापन चलाये जाने पर उन्हें वापस ले लिया था।
ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी ने भी इस मंच पर विचारों के आदान-प्रदान को सुधारने के लिए सालों काम किया था।
बड़ा सवाल है कि खुद को स्वतंत्र भाषण का हिमायती बताने वाले मस्क इस दिशा में कितना काम कर पाते हैं और क्या उनके ऐसा करने पर उपयोगकर्ता और विज्ञापनदाता उनके साथ बने रहेंगे।
भाषा
वैभव उमा
उमा
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खबर इजराइल आईसीसी
11 hours ago