Pregnancy Tourism: गर्भवती होने इन गांवों में विदेशों से आती हैं महिलाएं, जानें वजह |

Pregnancy Tourism: गर्भवती होने इन गांवों में विदेशों से आती हैं महिलाएं, जानें वजह

Pregnancy Tourism: पिछले कुछ वर्षों में भारत एक ऐसे टूरिज्म के लिए चर्चा में बना हुआ है, जिस पर खुलकर बात नहीं होती है। यह है- प्रेगनेंसी टूरिज्म। लद्दाख में एक गांव है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर महिलाएं गर्भवती होने के लिए विदेशों से आती हैं।

Edited By :   Modified Date:  October 28, 2023 / 06:00 PM IST, Published Date : October 28, 2023/6:00 pm IST

Pregnancy tourism in ladakh: प्रेगनेंसी टूरिज्म का नाम शायद आपने कम ही सुना होगा लेकिन देश में ऐसा भी होता है ये आप जान लीजिए। पिछले कुछ वर्षों में भारत एक ऐसे टूरिज्म के लिए चर्चा में बना हुआ है, जिस पर खुलकर बात नहीं होती है। यह है- प्रेगनेंसी टूरिज्म। लद्दाख में एक गांव है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर महिलाएं गर्भवती होने के लिए विदेशों से आती हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लद्दाख की राजधानी लेह से 163 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित बियामा, गारकोन, दारचिक, दाह और हानू गांव हैं। इन गावों में ब्रोकपा समुदाय के लोग रहते हैं, जिनका दावा है कि वे दुनिया के आखिरी बचे हुए ‘शुद्ध आर्य’ हैं। नस्लीय श्रेष्ठता से ग्रस्त इस विवादित दावे को ब्रोकपा अपने सिर ताज मानते हैं। वे इस बात को न सिर्फ सहर्ष स्वीकार करते हैं, बल्कि गर्व का अनुभव भी करते हैं।

शुद्ध आर्य क्या है?

कहा जाता है कि नाज़ी-युग के नस्लीय सिद्धांतकारों ने शुद्ध नस्ल को “मास्टर रेस” कहा था। इसी आधार पर जर्मनी में यहूदियों का नरसंहार किया गया था। मास्टर रेस वालों की कथित खासियत यह होती है कि वे लंबे होते हैं, गोरे होते हैं, आंखें नीली होती हैं और जबड़े मजबूत होते हैं। वह कथित तौर पर अधिक बुद्धिमान भी होते हैं।

read more: CM भूपेश ने रख दिया रविशंकर प्रसाद की दुखती रग पर हाथ! बोले- मोदी ने पद से क्यों हटाया बताएं? रमन सिंह को उल्टा लटकाने की जरूरत

2017 में भारत सरकार की ITBP ने ब्रोकपा समुदाय के कुछ लोगों और उनके गांव की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था, “लद्दाख स्थित दुर्लभ रेड आर्यन का घर। दारचिक गांव में ऐतिहासिक ब्रोकपा आदिवासी समुदाय।” ब्रोकपा लद्दाख की बहुसंख्यक मंगोलीयन फीचर वाली आबादी से अलग दिखते भी हैं। स्थानीय भाषा में ब्रोकपा का मतलब घुमंतू होता है। बौद्ध होने के बावजूद ब्रोकपा देवी-देवताओं में विश्वास करते हैं। उनके यहां बलि देने की भी प्रथा है। वे गाय से अधिक बकरी को पवित्र मानते हैं। वे आग की पूजा करते हैं।

प्रेगनेंसी टूरिज्म क्या है?

गौरतलब है कि इंटरनेट से पहले ब्रोकपाओं को लेकर कोई खास जानकारी नहीं था। इंटरनेट के प्रसार के बाद लद्दाख के गावों में जर्मन महिलाओं के आने के किस्से सामने आने लगे। बताया जाने लगा कि जर्मन महिलाएं ‘शुद्ध आर्य बीज’ के लिए ब्रोकपाओं के गावों में आती हैं। साल 2007 में फिल्मकार संजीव सिवन की 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री “Achtung Baby: In Search of Purity” रिलीज हुई। डॉक्यूमेंट्री में एक जर्मन महिला कैमरे पर स्वीकार करती है कि वह ‘शुद्ध आर्य शुक्राणुओं’ की तलाश में लद्दाख आयी है। जिसके बाद प्रेगनेंसी टूरिज्म जैसे शब्द सामने आए हैं।

read more: राम मंदिर के चुनावी होर्डिंग पर रार, कांग्रेस ने भाजपा पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया

इस डॉक्यूमेंट्री से के अलावा बीबीसी ने भी अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में एक ब्रोकपा दुकानदार के दावे को दर्ज बताया था। दुकानदार का दावा है कि कुछ साल पहले उससे एक जर्मन महिला मिली थी। दोनों साथ में लेह के होटल में रहे थे। गर्भवती होने के बाद वह जर्मनी वापस चली गई। कुछ साल बाद अपने बच्चे के साथ मिलने आई।”

हालाकि ब्रोकपाओं के दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। उनकी कोई डीएनए जांच नहीं हुई है। सिर्फ लद्दाखी संस्कृति से अलग होने की वजह से उन्हें ‘शुद्ध आर्य’ नहीं माना जा सकता है। वे केवल अपनी शारीरिक बनावट और अपने शुद्ध आर्य होने के बारे में विरासत में मिली कुछ कहानियों, लोककथाओं और मिथकों के आधार पर शुद्ध आर्य होने का दावा करते हैं। ब्रोकपा लोगों के दावे किसी भी वैज्ञानिक प्रमाण या विश्वसनीय इतिहास द्वारा समर्थित नहीं हैं। लेकिन फिर भी, वे अपने दावों के साथ मजबूती से खड़े हैं।