नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विवाहेतर संबंध बनाने पर सिर्फ पुरूष के लिए सजा का प्रावधान करने वाली को रद्द करने की मांग की है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा का विरोध किया है। भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा-497 के तहत अगर किसी पुरुष के पत्नी के अलावा अन्य महिला से भी शारीरिक संबंध हैं तो यह सिर्फ पुरुष का ही अपराध माना जाता है। शारीरिक संबंध बनाने वाली महिला का नहीं। याचिका में इसी कानूनी व्यवस्था में बदलाव की मांग की गई है।
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दरअसल केरल के रहने वाले जोसेफ शाइन ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की थी। इटली में नौकरी करने वाले शाइन ने दलील दी थी कि विवाहेत्तर संबंधों के मामले में सिर्फ पुरुष को ही अपराधी क्यों मानना चाहिए। उसके साथ मर्ज़ी से शारीरिक संबंध बनाने वाली महिला को क्यों नहीं। उनकी याचिका पर पिछले साल दिसंबर में शीर्ष अदालत सुनवाई के लिए राजी हुई थी। फिलहाल यह याचिका मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर तथा डीवाई चंद्रचूड की बेंच के पास विचाराधीन है।
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बेंच ने इस केस में केंद्र सरकार से भी उसका पक्ष जानना चाहा था। इसी सिलसिले में केंद्र सरकार ने हलफनामा पेश कर अपना विचार व्यक्त किया है। इसके मुताबिक आईपीसी की धारा-497 विवाह की पवित्रता क़ायम रखने के लिए एक कवच की तरह है। अगर इसमें बदलाव किया गया तो इससे वैवाहिक संबंध और उनकी पवित्रता को नुकसान पहुंच सकता है।
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