main 5 reasons for the defeat of bjp in karnataka assembly election

कर्नाटक में बुरी तरह हारी बीजेपी, ये हैं हार के मुख्य 5 कारण, भारी पड़ी ऐसी गलतियां!

karnataka assembly election result: कर्नाटक चुनाव के रुझानों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ ही हार और जीत के कारणों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कर्नाटक में बीजेपी की करारी हार के पीछे मजबूत चेहरे का न होना और सियासी समीकरण साधने में नाकामी जैसे बड़े कारण रहे हैं।

Edited By :   Modified Date:  May 13, 2023 / 05:02 PM IST, Published Date : May 13, 2023/5:01 pm IST

Main 5 reasons for the defeat of bjp in karnataka assembly election: नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिलने जा रही है, ताजा रुझानों की माने तो कांग्रेस को 136 और भाजपा को 64 सीटें मिलने जा रही हैं। वहीं जेडीएस को 20 और अन्य के खाते में 4 सीटें मिलने का अनुमान है। अब तक के रुझानों में कांग्रेस सत्ताधारी बीजेपी को करारी मात देकर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आती नजर आ रही है।

कर्नाटक चुनाव के रुझानों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ ही हार और जीत के कारणों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कर्नाटक में बीजेपी की करारी हार के पीछे मजबूत चेहरे का न होना और सियासी समीकरण साधने में नाकामी जैसे बड़े कारण रहे हैं।

बीजेपी की हार के मुख्य कारण ये हैं —

1. कर्नाटक में मजबूत चेहरा न होना:

कर्नाटक में बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह मजबूत चेहरे का न होना रहा है। येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को बीजेपी ने भले ही मुख्यमंत्री बनाया हो, लेकिन सीएम की कुर्सी पर रहते हुए भी बोम्मई का कोई खास प्रभाव नहीं नजर आया। वहीं, कांग्रेस के पास डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे मजबूत चेहरे थे। बोम्मई को आगे कर चुनावी मैदान में उतरना बीजेपी को महंगा पड़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का बीजेपी ने टिकट काटा तो दोनों ही नेता कांग्रेस का दामन थामकर चुनाव मैदान में उतर गए। येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ गया।

2- भ्रष्टाचार:

बीजेपी की हार के पीछे अहम वजह भ्रष्टाचार का मुद्दा रहा। कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ शुरू से ही ’40 फीसदी पे-सीएम करप्शन’ का एजेंडा सेट किया और ये धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बन गया। करप्शन के मुद्दे पर ही एस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तो एक बीजेपी विधायक को जेल भी जाना पड़ा। स्टेट कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन ने पीएम तक से शिकायत डाली थी। बीजेपी के लिए यह मुद्दा चुनाव में भी गले की फांस बना रहा और पार्टी इसकी काट नहीं खोज सकी।

3- सियासी समीकरण साधने में नाकाम :

कर्नाटक के राजनीतिक समीकरण भी बीजेपी साधकर नहीं रख सकी। बीजेपी न ही अपने कोर वोट बैंक लिंगायत समुदाय को अपने साथ जोड़े रख पाई और ना ही दलित, आदिवासी, ओबीसी और वोक्कालिंगा समुदाय का ही दिल जीत सकी। वहीं, कांग्रेस मुस्लिमों से लेकर दलित और ओबीसी को मजबूती से जोड़े रखने के साथ-साथ लिंगायत समुदाय के वोटबैंक में भी सेंधमारी करने में सफल रही है।

4- काम नहीं आया ध्रुवीकरण का दांव :

karnataka assembly election कर्नाटक में एक साल से बीजेपी के नेता हलाला, हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उठाते रहे। ऐन चुनाव के समय बजरंगबली की भी एंट्री हो गई लेकिन धार्मिक ध्रुवीकरण की ये कोशिशें बीजेपी के काम नहीं आईं। कांग्रेस ने बजरंग दल को बैन करने का वादा किया तो बीजेपी ने बजरंग दल को सीधे बजरंग बली से जोड़ दिया और पूरा मुद्दा भगवान के अपमान का बना दिया। बीजेपी ने जमकर हिंदुत्व कार्ड खेला लेकिन यह दांव भी काम नहीं आ सका।

5- सत्ता विरोधी लहर की काट नहीं तलाश सकी:

कर्नाटक में बीजेपी की हार की बड़ी वजह सत्ता विरोधी लहर की काट नहीं तलाश पाना भी रहा है। बीजेपी के सत्ता में रहने की वजह से उसके खिलाफ लोगों में नाराजगी थी। बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हावी रही, जिससे निपटने में बीजेपी पूरी तरह से असफल रही।

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