पटना, 24 जुलाई (भाषा) पटना उच्च न्यायालय ने केंद्र द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित एक सड़क परियोजना के संबंध में उदासीन रवैया अपनाने को लेकर शनिवार को बिहार सरकार से नाराजगी जताई। इस परियोजना में राज्य का काम भूमि अधिग्रहण के संबंध में केवल मदद देना था।
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निराशा जताते हुए कहा कि इस परियोजना में 167 किमी लंबी प्रस्तावित रोड के लिए एक ईंट तक नहीं रखी जा सकी। यह परियोजना बौद्ध पर्यटन सर्किट का हिस्सा है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में की थी।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों की उदासीनता को देखते हुए उसे इस वर्ष मार्च में इस मामले में स्वत: संज्ञान लेना पड़ा और परियोजना की हालिया स्थिति के बारे में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और राज्य सड़क निर्माण विभाग से हलफनामे मांगे गए।
अदालत ने राज्य सरकार के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सड़क परियोजना को लेकर उसका उदासीन रवैया साफ नजर आ रहा है। साथ ही, राज्य विकास आयुक्त को भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया की गति बढ़ाने और प्रभावित पक्षों को मुआवजा देने के लिए ‘‘सभी पक्षकारों की तत्काल बैठक बुलाने का’’ निर्देश दिया। विकास अधिकारी से इस दिशा में की गई प्रगति के बारे में दो हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर करने को कहा। मामले पर आगे की सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
भाषा मानसी माधव
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