एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल, राजद फिर बनी सबसे बड़ी पार्टी |

एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल, राजद फिर बनी सबसे बड़ी पार्टी

एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल, राजद फिर बनी सबसे बड़ी पार्टी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 AM IST, Published Date : June 29, 2022/7:45 pm IST

पटना, 29 जून (भाषा) बिहार में एआईएमआईएम के पांच विधायकों में से एक को छोडकर बाकी सभी बुधवार को राजद में शामिल हो गये जिससे 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव एआईएमआईएम के इन चार विधायकों को एक कार में साथ लेकर आज विधानसभा पहुंचे और सदन अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को एक पत्र सौंपा । कार स्वयं तेजस्वी चला रहे थे ।

राजद में शामिल होने वाले एआईएमआईएम के इन विधायकों में कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र के विधायक मोहम्मद इज़हार अस्फी, जोकीहाट के शाहनवाज़ आलम, बायसी के रुकानुद्दीन अहमद और बहादुरगंज के अंज़ार नईमी शामिल हैं ।

एआईएमआईएम छोडे़ इन चार विधायकों और पुराने विश्वासपात्रों के साथ मुस्कुराते हुए तेजस्वी सदन अध्यक्ष के कक्ष से निकले और बधाई संदेशों का जवाब देते हुए विधानसभा परिसर से बाहर चले गए।

इन चारों विधायकों के राजद में शामिल हो जाने के बाद 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में इस दल के विधायकों की संख्या अब बढ़ाकर 80 हो गयी है जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के साथ सत्ता साझा करने वाली भाजपा से तीन अधिक है।

हैदराबाद के फायरब्रांड सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर काफी चर्चा में रही थी पर अब इसके केवल एक विधायक अमौर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अख्तरुल ईमान बचे हैं जो कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं ।

एआईएमआईएम ने जो पांच सीटें जीती थीं वे किशनगंज और अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत आती है ।

जोकीहाट विधायक शाहनवाज आलम राजद के दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं।

बाद में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने पार्टी में इन चारों विधायकों के शामिल होने की आधिकारिक तौर पर घोषणा करते हुए तेजस्वी ने रेखांकित किया कि सभी चार विधायक राज्य के सबसे निर्धन एवं बाढ़ प्रभावित उस क्षेत्र से आते हैं जहां सरकार की उदासीनता के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने 75 सीटें जीती थीं और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस साल की शुरुआत में उसने एक और सीट जीती जब उसने एक उपचुनाव में बोचहां सीट एनडीए से छीन लिया था।

तेजस्वी ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि फेरबदल राजद द्वारा अपनी संख्या बढ़ाने के लिए एक सुनियोजित ऑपरेशन की ओर इशारा करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें एक साथ आएं और मजबूत बनें और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में राजद की भूमिका को कम नहीं किया जा सकता है। यह हमारी वजह से है कि बिहार में भाजपा ने कभी भी अपने दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटाई है।’’

राजद नेता ने जदयू का जिक्र करते हुए कहा कि राजग भले ही गलत तरीके अपनाकर बिहार में सत्ता हासिल करने में सफल रहा हो लेकिन यहां भाजपा को देखें उसे एक ऐसे मुख्यमंत्री को स्वीकार करना पड़ा है जिसकी पार्टी संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर है।

भाषा अनवर

रंजन

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