#NindakNiyre: राजनीतिक पदयात्राएं बढ़ाती हैं नेता की स्वीकार्यता, लोगों के बीच व्यक्तिगत छवि होती है मजबूत
राहुल से पहले भी भारत के बड़े-बड़े राजनेताओं ने ऐसी यात्राएं की हैं, इनमें सबसे लंबी और बड़ी यात्रा राम रथ यात्रा को माना जाता है। यह आडवाणी के नेतृत्व में निकाली गई थी, जिसके आधार में नरेंद्र मोदी भी थे।
बरुण सखाजी, सह-कार्यकारी संपादक, IBC24
राहुल गांधी 7 सितंबर से पैदल चलकर जम्मू कश्मीर जा रहे हैं। वे इसे गैरराजनीतिक यात्रा जरूर कह रहे हैं। राहुल से पहले भी भारत के बड़े-बड़े राजनेताओं ने ऐसी यात्राएं की हैं, इनमें सबसे लंबी और बड़ी यात्रा राम रथ यात्रा को माना जाता है। यह आडवाणी के नेतृत्व में निकाली गई थी, जिसके आधार में नरेंद्र मोदी भी थे। इस यात्रा का उद्देश्य विशुद्ध राजनीति था। इसलिए इसमें राजनीतिक ड्रामे भी हुए थे, गिरफ्तारियां, जोर-शोर, विरोध आदि सब। इस यात्रा ने आडवाणी को देश के बड़े नेताओं में शुमार तो किया ही साथ ही उन्हें भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तक पहुंचाया। आडवाणी का नाम जब जैन डायरी और हवाला में आया तब भी देश ने उन पर भरोसा बनाए रखा। यह आरोप आए और गए, लेकिन आडवाणी की व्यक्तिगत छवि पर कोई प्रतीकूल असर नहीं पड़ा। राजनीतिक विश्लेषक इसे यात्रा का प्रतिफल बताते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अजयभान सिंह कहते हैं ऐसा होता ही आया है। चूंकि मनोविज्ञानिक रूप से आम आदमी अपने नेता को करीबी से देखकर अपनी राय बनाता है, जबकि दूर से देखकर वह मीडिया या अन्य सूचना स्रोतों के जरिए उसके बारे में सोचता है। इसलिए उसका अपना मूल्यांकन गौण हो जाता है। यात्राओं में वह सीधे संपर्क में आता है और उसे समझने के अपने पैमाने कसता है।
दरअसल जब राजनेता मैदान में जाता है तो उसकी मजबूती उभरती है। लोगों का विश्वास जमने लगता है। तब भ्रष्टाचार या अन्य ऐसे आरोपों पर लोग जल्दी विश्वास नहीं करते। आडवाणी को इसका लाभ मिला। इस यात्रा में दूसरे व्यक्ति थे नरेंद्र मोदी जो आज प्रधानमंत्री हैं। मोदी खुद ही बताते हैं कि वे देश के 80 फीसद जिलों में अपने जीवन काल में कभी न कभी एक रात बिता चुके हैं। यह कहने का मकसद साफ है कि वे भारत को समझते हैं। देश में 7 हजार से अधिक जिले हैं। इस लिहाज से देखें तो मोदी साढ़े 5 हजार से अधिक जिलों में रात्रि विश्राम कर चुके हैं। यही यात्राएं उन्हें मजबूत बनाती हैं और भारत की समझ पैदा करती हैं। नतीजा सबके सामने है कि किसी भी तरह के आरोप पर लोग मोदी पर भरोसा कायम रखते हैं। एक यात्रा शिवराज सिंह चौहान ने भी की थी। यह यात्रा हेलीकॉप्टर से थी। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा की। नतीजे में वे भी व्यक्तिगत रूप से मजबूत नेता बनकर उभरे। ऐसे ही एक यात्रा दिग्विजय सिंह ने की थी। वे नर्मदा परिक्रमा पर गए थे। वे भी उस दौरान व्यक्तिगत स्तर पर मजबूत नेता बनकर उभरे। लेकिन बाद में उनके पुराने बयानों ने उन्हें संकट में डाल दिया। उमा भारती ने राम रोटी यात्रा करके भी अपनी मजबूती को सिद्ध किया था। नतीजे में 2008 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती की पार्टी 5 सीटें जीतकर चर्चा में आ गई थी। उमा को आज भी बड़ा नेता माना जाता है। अब राहुल गांधी यात्रा पर हैं, जाहिर वे भी देश के स्वीकार्य और बड़े नेता बनकर उभर रहे हैं।
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