इंदौर, 27 मार्च (भाषा) देश के बड़े कॉरपोरेट घोटालों की छानबीन कर रहे गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) में मानव संसाधन की कमी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें स्वीकृत पदों के मुकाबले 62 प्रतिशत रिक्त पड़े हैं।
यह केंद्रीय एजेंसी पिछले 10 वित्त वर्षों के दौरान सरकार द्वारा सौंपे गए 54 प्रतिशत मामलों में जांच पूरी कर सकी है।
नीमच के सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रविवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन एसएफआईओ ने उन्हें 28 फरवरी तक की स्थिति के मुताबिक यह जानकारी दी है।
गौड़ को आरटीआई कानून के तहत मिले ब्योरे के मुताबिक, एसएफआईओ में कुल 238 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 91 पद भरे हैं और 147 रिक्त हैं।
अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ अधिकारियों की मदद से सफेदपोश अपराधियों के खिलाफ तहकीकात करने वाली इस एजेंसी में अतिरिक्त या संयुक्त निदेशक (जांच) के नौ स्वीकृत पदों के मुकाबले चार पदों पर अधिकारी काम कर रहे हैं, जबकि पांच पद खाली पड़े हैं। वहीं, अतिरिक्त या संयुक्त निदेशक (कानून) के दो पद मंजूर हैं और दोनों पद खाली पड़े हैं।
इसी तरह, एसएफआईओ में उपनिदेशक (जांच) के 11 पद स्वीकृत हैं जिनमें सभी पद रिक्त हैं।
देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच आरटीआई कानून के तहत यह अहम खुलासा भी हुआ है कि एसएफआईओ में डिजिटल फॉरेंसिक के अफसरों का भारी टोटा है।
एसएफआईओ में उपनिदेशक (डिजिटल फॉरेंसिक) का केवल एक पद स्वीकृत है और वह भी खाली पड़ा है। वरिष्ठ सहायक निदेशक (डिजिटल फॉरेंसिक) के दो स्वीकृत पदों में से एक भी पद भरा नहीं जा सका है। सहायक निदेशक (डिजिटल फॉरेंसिक) के छह पद स्वीकृत हैं और सभी छह पद नियुक्तियों की बाट जोह रहे हैं।
इसके अलावा एसएफआईओ में सहायक निदेशक (जांच) के 39 स्वीकृत पदों के मुकाबले महज आठ पद भरे हैं और शेष 31 पर अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
गौड़ को आरटीआई कानून के तहत मिले जवाब से पता चला है कि एसएफआईओ में 17 सलाहकार अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं।
इस जवाब से यह भी पता चला है कि पिछले 10 वित्त वर्षों यानी 2011-12 से 2020-21 के बीच एसएफआईओ को कॉरपोरेट धांधलियों के कुल 211 प्रकरण जांच के लिए सौंपे गए जिनमें से 114 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है।
भाषा हर्ष
संतोष अजय
अजय
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