बजट में शामिल उपकर से राज्यों में कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे का विस्तार होगा

बजट में शामिल उपकर से राज्यों में कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे का विस्तार होगा

बजट में शामिल उपकर से राज्यों में कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे का विस्तार होगा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: February 16, 2021 2:38 pm IST

नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) केंद्रीय बजट 2021-22 में लगाए गए कृषि उपकर के पैसे को अंतत: कृषि मंडियों मंडियों और संबंधित खेती-बाड़ी के बुनियादी ढांचे के विस्तार पर खर्च किया जाएगा। गौरतलब है कि ये सुविधाएं राज्य सरकारों द्वारा ही संचालित की जाती है

केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इन आलोचनाओं को खारिज किया कि काई उपकर राज्यों को राजस्व से वंचित करता है।

सरकारी सूत्रों ने उन खातों में ईपीएफ के ब्याज पर कर लगाने को भी सही ठहराया है, जहां कर्मचारियों को 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक का ब्याज मिलता है। यह देखा गया था कि कई लोग 8.5 प्रतिशत से अधिक का सुनिश्चित ब्याज लाभ पाने के लिए ईंपीएफ में करोड़ों रुपये जमा कराए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार इस कदम से ईपीएफ के कुल खाताधारकों में से केवल एक प्रतिशत प्रभावित होंगे।

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वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में संवाददाताओं से कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अनिवार्य रूप से श्रमिकों और उन पर निर्भर रहने वालों के लिए है, ऐसे में यह उचित नहीं है कि कुछ लोग एक सुनिश्चित ब्याज लाभ पाने के लिए उसमें साल में एक करोड़ या दो करोड़ रुपये लगा रहे हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किए गए बजट में कृषि उपकर सेलगभग 30,000 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति का अनुमान है जो केंद्र सरकार के पास जाएगा।लेकिन सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस पैसे का उपयोग कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) की मंडियों और संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए किया जाएगा।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर


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