नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास से भारत को अपनी लॉजिस्टिक क्षमता बढ़ाने और मध्य एशिया तक अपने व्यापार मार्गों का विस्तार करने में मदद मिलेगी। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को इस बंदरगाह पर मालढुलाई के प्रभावी प्रबंधन का भी सुझाव दिया।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक रिपोर्ट में सरकार को यह सुझाव दिया कि ईरान का एकमात्र समुद्री बंदरगाह होने के बावजूद चाबहार बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के अधीन न आए। यह बंदरगाह न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है बल्कि इस परियोजना की सफलता जटिल भू-राजनीतिक वातावरण से भी जुड़ी है।
भारत ने एक दिन पहले ही चाबहार के बंदरगाह टर्मिनल के संचालन से संबंधित एक 10-वर्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के बंदरगाह एवं समुद्री संगठन ने हस्ताक्षर किए।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चाबहार में मालढुलाई के प्रभावी प्रबंधन के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा, प्रक्रियाएं और कर्मी हों। फिर भी ऐसी बड़े पैमाने की परियोजनाओं के लिए आवश्यक व्यापक स्थिरता बाहरी राजनीतिक दबावों और क्षेत्रीय अस्थिरता के कारण एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।’’
उन्होंने कहा कि बंदरगाह का विकास अपनी लॉजिस्टिक क्षमताओं को बढ़ाने और मध्य एशिया एवं उससे आगे तक अपने व्यापार मार्गों का विस्तार करने में भारत की रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रमाण है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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