गेहूं की कीमत नियंत्रित करने, सही दिशा में व्यापार विनियमित करने में मदद करेगा फैसलाः वाणिज्य सचिव |

गेहूं की कीमत नियंत्रित करने, सही दिशा में व्यापार विनियमित करने में मदद करेगा फैसलाः वाणिज्य सचिव

गेहूं की कीमत नियंत्रित करने, सही दिशा में व्यापार विनियमित करने में मदद करेगा फैसलाः वाणिज्य सचिव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : May 14, 2022/8:07 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) देश में गेहूं आपूर्ति का कोई संकट न होने का दावा करते हुए वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले से घरेलू स्तर पर बढ़ रही कीमतों पर रोक लगाने और भारत के पड़ोसियों एवं कमजोर देशों की खाद्य जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।

सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। हालांकि, निर्यात की खेप के लिए इस अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले जो अपरिवर्तनीय साख पत्र (एलओसी) जारी किए जा चुके हैं, उन्हें अनुमति दी जाएगी।

सुब्रमण्यम ने कहा कि गेहूं निर्यात पर पाबंदी का फैसला सही समय पर लिया गया है। उन्होंने खाद्य एवं कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उत्पादन में कोई नाटकीय गिरावट नहीं है। मुझे नहीं लगता कि कोई संकट है जिसकी कल्पना करनी चाहिये। सरकारी स्टॉक और निजी स्टॉक में पर्याप्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध है।’’

निर्यात पर रोक लगाने के पीछे का कारण बताते हुए वाणिज्य सचिव ने कहा कि प्राथमिक लक्ष्य ‘‘मुद्रास्फीति पर नियंत्रण’’ रखना था। सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘रोक के नाम पर हम गेहूं व्यापार को एक निश्चित दिशा में ले जा रहे हैं। हम नहीं चाहते कि गेहूं गैर-विनियमित तरीके से उन जगहों पर जाए जहां बस जमाखोरी हो या जहां इसका उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाये जिसकी हम अपेक्षा कर रहे हैं।’’

इस फैसले से देश के भीतर पर्याप्त खाद्य स्टॉक उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘भोजन हर देश के लिए एक बेहद संवेदनशील मामला है क्योंकि यह सभी को प्रभावित करता है – चाहे वह गरीब, मध्यम या अमीर हो।’’ उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में गेहूं के आटे की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।

वाणिज्य सचिव ने कहा कि सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने (अपने) पड़ोसियों के लिए रास्ता खुला छोड़ा है। हमने बड़ी संख्या में कमजोर देशों के लिए भी रास्ता खुला छोड़ा है, अगर उनकी सरकारें इस तरह के अनुरोध करती हैं तो उन्हें मदद दी जा सके।’’

सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत बांग्लादेश को भेजा गया।

उन्होंने चालू वित्त वर्ष के बारे में कहा कि अनुमान के मुताबिक अब तक 43 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं। इसमें से 12 लाख टन पहले ही अप्रैल और मई में निर्यात किया जा चुका है जबकि बाकी 11 लाख टन गेहूं आने वाले समय में निर्यात किए जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि यदि किसी के पास कोई एक वैध आदेश पहले से मिला हुआ है तो उस अनुबंध का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता बनी हुई है।’’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कीमतों की स्थिति में सुधार होता है तो सरकार इस फैसले की समीक्षा कर सकती है।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

 

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