‘महामारी से निपटने को उठाये गये कदमों के लिेए विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में नहीं घसीटना चाहिए’ |

‘महामारी से निपटने को उठाये गये कदमों के लिेए विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में नहीं घसीटना चाहिए’

‘महामारी से निपटने को उठाये गये कदमों के लिेए विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ में नहीं घसीटना चाहिए’

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : February 16, 2022/7:36 pm IST

नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) विकासशील देशों ने अगर कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये जरूरी व्यापार उपायों को लागू किया है तो इसको लेकर उन्हें विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद निपटान समिति में नहीं घसीटना चाहिए और उन्हें छूट मिलनी चाहिए। भारत, क्यूबा और अफ्रीकी संघ ने डब्ल्यूटीओ में जमा कराये एक अवधारणा पत्र में यह कहा है।

‘विकास और समावेश को बढ़ावा देने को लेकर डब्ल्यूटीओ को मजबूत बनाना’ शीर्षक से जारी पत्र में कहा गया है कि बौद्धिक संपदा अधिकार मामले में व्यापार उपायों को लेकर रोक और लचीलेपन के लिये चीजें बिल्कुल साफ होंगी और इसे केवल अस्थायी तौर पर कोविड संकट के दौरान ही बनाये रखने की जरूरत है।

इसके अनुसार, संकट को देखते हुए यह जरूरी है कि सरकारें मानवीय त्रासदी को नियंत्रित करने को लेकर आवश्यक कदम उठा सकें।

डब्ल्यूटीओ में जमा किये गये अवधारणा पत्र में कहा गया है कि विकासशील देशों के लिए नीतिगत मामले में गुंजाइश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पास राजकोष को लेकर स्थिति तंग है।

धनी देशों के विपरीत विकासशील देशों के पास संकट से पार पाने को ज्यादा विकल्प नहीं है। इसीलिए वे उपायों को लेकर ज्यादा रचनात्मक होते हैं। इसमें वे व्यापार उपाय भी शामिल हैं, जो मददगार हो सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों ने अगर अपने नागरिकों की मदद के लिये लीक व्यवस्था से हटकर कोई कदम उठाये हैं, तो उन्हें मौजूदा व्यापार व्यवस्था के तहत दंडित नहीं किया जाना चाहिए।

पत्र में कहा गया है, ‘‘इसलिए विकासशील देशों ने अगर महामारी से निपटने को लेकर जरूरत के अनुसार व्यापार उपायों को लागू किया है, तो उन्हें विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान निकाय में ले जाने से छूट दी जानी चाहिए।’’

इसमें यह भी कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान व्यवस्था में सुधारों की जरूरत है क्योंकि अपीलीय निकाय काम नहीं कर रहा।

पत्र के अनुसार, ‘‘हालांकि यह अवधारणा पत्र है, लेकिन हमने मसलों को सामने रखा है। अगर डब्ल्यूटीओ को मजबूत बनाना है, इसका समाधान जरूरी है।’’

उल्लेखनीय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका पहले ही कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों के कुछ प्रावधानों से छूट को लेकर डब्ल्यूटीओ में प्रस्ताव दे चुके हैं।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)