प्रबुद्ध नेतृत्व को कर राशि के वितरण पर उत्तर-दक्षिण अंतर का समाधान करने की जरूरत: सुब्बाराव |

प्रबुद्ध नेतृत्व को कर राशि के वितरण पर उत्तर-दक्षिण अंतर का समाधान करने की जरूरत: सुब्बाराव

प्रबुद्ध नेतृत्व को कर राशि के वितरण पर उत्तर-दक्षिण अंतर का समाधान करने की जरूरत: सुब्बाराव

:   Modified Date:  May 1, 2024 / 03:37 PM IST, Published Date : May 1, 2024/3:37 pm IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा है कि केंद्र और राज्य स्तर पर केवल प्रबुद्ध नेतृत्व ही राज्यों के बीच कर राशि के वितरण पर निर्णय लेने में उत्तर-दक्षिण विभाजन के जटिल सवाल को हल कर सकता है। यह मामला वित्त आयोग के दायरे से परे है।

आंध्र प्रदेश के वित्त सचिव और केंद्रीय वित्त सचिव सहित विभिन्न पदों पर कार्य करने वाले सुब्बाराव ने अपनी नई किताब‘जस्ट ए मर्सिनरी?: नोट्स फ्रॉम माई लाइफ एंड करिअर’ में राजकोषीय संघवाद के मुद्दों पर विस्तार से लिखा है।

उन्होंने कहा कि करों के विभाजन का मामला हमेशा एक विवादास्पद मुद्दा रहा है लेकिन इस दौर में यह और भी जटिल होगा।

सुब्बाराव ने कहा, ‘‘यह वित्त आयोग की सीमा से परे एक जटिल राजनीतिक चुनौती है।’’

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘इसके समाधान के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर प्रबुद्ध नेतृत्व की आवश्यकता होगी जो राजनीति से परे देख सके और आगे बढ़ने के लिए बेहतर उपाय पर आम सहमति बना सके।’’

सुब्बाराव ने कहा कि केंद्र के करों में योगदान करने वाले प्रत्येक रुपये के लिए तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे समृद्ध राज्यों को एक रुपये से भी कम वापस मिलता है जबकि बिहार और झारखंड जैसे गरीब राज्यों को एक रुपये से अधिक मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में अमीर राज्यों का गरीब राज्यों को इस तरह की ‘क्रॉस सब्सिडी’ देना जरूरी है। वास्तव में यह एक स्वीकृत सिद्धांत है।’’

सोलहवें वित्त आयोग की स्थापना के साथ आर्थिक तथा सामाजिक रूप से बेहतर दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों की तरफ से उत्तरी और पूर्वी राज्यों को ‘क्रॉस सब्सिडी’ देने को लेकर बहस फिर से शुरू हो गई है।

उन्होंने पूछा, ‘‘जैसा कि आप कहते हैं, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पहले से ही उत्तर-दक्षिण विभाजन उभर रहा है। सवाल यह है कि क्या हम इस तरह की क्रॉस सब्सिडी की सीमा को पार कर रहे हैं?’’

सुब्बाराव के अनुसार, कई आंकड़े बताते हैं कि दक्षिणी राज्य बुनियादी ढांचे, निजी निवेश, सामाजिक संकेतक और कानून के शासन के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसने उन्हें विकास और समृद्धि के बेहतर रास्ते पर रखा है। वहीं इससे उत्तर-दक्षिण अंतर बढ़ा है।

उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘‘तेजी से आगे बढ़ने की उनकी इच्छा को देखते हुए, दक्षिणी राज्य कितनी अधिक क्रॉस सब्सिडी का समर्थन करेंगे? और कब तक?’’

सुब्बाराव ने अद्यतन जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर 2026 में होने वाले परिसीमन की संभावना को ध्यान में रखते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में दक्षिणी राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर में उत्तर की तुलना में अधिक तेज गिरावट आई है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर इसके चलते दक्षिणी राज्य संसद में सीटों में अपनी सापेक्ष हिस्सेदारी खोते हैं, तो उन्हें एक तरफ तो ‘क्रॉस-सब्सिडी’ देनी होगी, दूसरी तरफ राजनीतिक दबदबे में कमी का भी सामना करना पड़ेगा। यानी उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।’’

आरबीआई की 90वीं वर्षगांठ समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक स्वीकार्य बनाने के लिए केंद्रीय बैंक को अन्य शर्तों को पूरा करने के अलावा कम-से-कम हस्तक्षेप करने की जरूरत है।

मुफ्त में सामान दिये जाने के एक सवाल के जवाब में सुब्बाराव ने कहा कि एक गरीब देश में जहां लाखों लोग अच्छी आजीविका कमाने के लिए संघर्ष करते हैं, सबसे कमजोर वर्गों को हस्तांतरण आवश्यक है। वास्तव में यह अनिवार्य भी है।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह सीमा के भीतर होना चाहिए, क्योंकि मुफ्त में कुछ नहीं होता। ये चीजें उधार लेकर वित्तपोषित की जाती हैं।’’

हालांकि, सुब्बाराव ने यह भी कहा लोकलुभाव घोषणाओं में जो प्रतिस्पर्धा हो रही है, राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए आकर्षक योजनाओं की घोषणा में जो प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, वह वित्तीय रूप से जोखिम भरा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि सभी राजनीतिक दल इसके लिए दोषी हैं।’’

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली केंद्र सरकार को एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए जिसमें जनता को मुफ्त में दिये जाने वाले सामान की लागत और लाभ को सरल भाषा में समझाया जाए।

भाषा रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)