राज्यों का राजकोषीय कुप्रबंधन केंद्र के लिए चिंता का विषय, मिलकर मतभेद दूर करेंः उच्चतम न्यायालय |

राज्यों का राजकोषीय कुप्रबंधन केंद्र के लिए चिंता का विषय, मिलकर मतभेद दूर करेंः उच्चतम न्यायालय

राज्यों का राजकोषीय कुप्रबंधन केंद्र के लिए चिंता का विषय, मिलकर मतभेद दूर करेंः उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  March 6, 2024 / 05:58 PM IST, Published Date : March 6, 2024/5:58 pm IST

नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राज्यों के राजकोषीय कुप्रबंधन को केंद्र सरकार के लिए चिंता का विषय बताने के साथ ही बुधवार को केंद्र और केरल सरकार दोनों को शुद्ध उधारी की सीमा पर बने आपसी मतभेद दूर करने की सलाह दी।

शीर्ष अदालत केरल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र सरकार पर उधारी की सीमा लगाकर राज्य के वित्त को विनियमित करने के लिए अपनी ‘विशिष्ट, स्वायत्त एवं पूर्ण शक्तियों’ का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र और राज्य के इस मुद्दे को सुलझाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि दोनों के बीच बातचीत सिर्फ मुकदमा लंबित होने की वजह से नहीं रुकनी चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘निर्णय लेने में सक्षम और पहले निर्णय प्रक्रिया में शामिल रह चुके सभी वरिष्ठ अधिकारी एक साथ बैठें और इस मुद्दे को हल करें।’’

केरल सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य के पास इस मुद्दे पर विरोध के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है। सिब्बल ने कहा कि इस मुद्दे को सहकारी संघवाद की भावना से हल करने की जरूरत है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य को राहत की जरूरत है।

पीठ ने कहा कि केरल ने राज्य के उधार लेने पर शर्तें लगाने की केंद्र की शक्ति को चुनौती दी है, लिहाजा अतिरिक्त उधारी लेने के अनुरोध पर केवल मुकदमा वापस लेने के बाद ही विचार किया जा सकता है।

इसके साथ ही पीठ ने केंद्र से कहा, ‘‘अभी हम आपको केवल यही सुझाव देना चाहते हैं कि आप मुकदमा वापस लेने की शर्त पर जोर न दें।…भारत सरकार बेहतर राजकोषीय प्रबंधन के लिए अन्य शर्तें भी लगा सकती है।’’

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमण से पीठ ने कहा, ‘‘आप यह नहीं कह सकते कि मुकदमा वापस लिया जाए। यह अनुच्छेद 131 के तहत एक संवैधानिक अधिकार है।’’

संविधान का अनुच्छेद 131 उच्चतम न्यायालय को केंद्र और राज्य के बीच विवाद होने की स्थिति में उससे निपटने का अधिकार देता है।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार के रुख पर कहा, ‘‘इसपर बहुत गंभीरता से विचार करने की जरूरत है क्योंकि राज्यों का वित्तीय कुप्रबंधन एक ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में संघ को चिंतित होना चाहिए क्योंकि अंततः इसका देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है।’’

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र और केरल सरकार के बीच बातचीत बंद नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तय नहीं करेगी और पक्ष जब चाहें, इसका उल्लेख करने के लिए स्वतंत्र हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

 

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