खाद्य प्रसंस्करण का स्तर मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाया जाना चाहिए: मंत्री |

खाद्य प्रसंस्करण का स्तर मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाया जाना चाहिए: मंत्री

खाद्य प्रसंस्करण का स्तर मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाया जाना चाहिए: मंत्री

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:34 PM IST, Published Date : August 27, 2021/7:26 pm IST

नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस ने शुक्रवार को भारत में प्रसंस्करण के स्तर को मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाने पर जोर दिया ताकि किसानों की आय को बढ़ावा दिया जा सके।

उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित एक आभासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हमेशा ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन’’ रहा है।

पारस ने कहा, ‘‘भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र दुनिया में सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और इसका उत्पादन वर्ष 2025-26 तक 535 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 12.8 प्रतिशत का योगदान देता है और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से भारी संख्या में रोजगार मुहैया कराता है।

यह बताते हुए कि भारत में खाद्य प्रसंस्करण का मौजूदा स्तर सिर्फ 10 प्रतिशत है, पारस ने कहा कि बाजार के अवसरों पर कब्जा करने और किसानों के लिए आय की स्थिति में सुधार के लिए प्रसंस्करण स्तर को बढ़ाने की जरूरत है।

मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले सात वर्षों में सरकार ने प्रसंस्करण स्तर को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए कई उपाय किए हैं।

उन्होंने उल्लेख किया कि पीएमकेएसवाई (प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना) के तहत, देश भर में 42 मेगा फूड पार्क, 353 कोल्ड चेन परियोजनाओं, 63 कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर, 292 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, 62 बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज निर्माण परियोजनाओं और छह ऑपरेशन ग्रीन परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है।

मंत्री ने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय किसानों को उपभोक्ताओं से जोड़ने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने अप्रैल 2000-मार्च 2017 की अवधि के दौरान लगभग 7.54 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है।

पारस ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को महामारी के दौरान विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसे कि श्रम की कमी, लॉकडाउन के कारण आपूर्ति श्रृंखला का अंतराल इत्यादि।

उन्होंने कहा कि कारखानों को बंद कर दिया गया और सामग्री का भारी नुकसान हुआ।

हालांकि, मंत्री ने कहा कि महामारी ने देश में खाद्य सुरक्षा और खाद्य अधिशेष के प्रबंधन के महत्व को बढ़ा दिया है।

इस आभासी कार्यक्रम में एसोचैम के एफएमसीजी परिषद के अध्यक्ष अनिल राजपूत तथा पेप्सीको के सार्वजनिक, नीति एवं सरकारी मामला विभाग के निदेशक एवं एसोचेम के वरिष्ठ वरिष्ठ सदस्य हिमांशु प्रियदर्शी ने भी भाग लिया।

भाषा राजेश राजेश प्रणव

प्रणव

 

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