गैस कीमतों में वृद्धि: 8-12 रुपये किलो महंगी हो सकती है सीएनजी |

गैस कीमतों में वृद्धि: 8-12 रुपये किलो महंगी हो सकती है सीएनजी

गैस कीमतों में वृद्धि: 8-12 रुपये किलो महंगी हो सकती है सीएनजी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : October 3, 2022/6:43 pm IST

नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) प्राकृतिक गैस की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि के बाद सीएनजी आठ से 12 रुपये प्रति किलो महंगी हो सकती है जबकि रसोई गैस के भाव में छह रुपये प्रति इकाई का इजाफा किया जा सकता है। विश्लेषकों ने यह अनुमान जताया है।

सरकार ने पिछले सप्ताह पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिए भुगतान की जाने वाली दर को मौजूदा 6.1 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (प्रतिशत इकाई) से बढ़ाकर 8.57 डॉलर प्रति इकाई कर दिया।

वहीं, मुश्किल क्षेत्रों से निकाली जाने वाली गैस की कीमत 9.92 डॉलर से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति इकाई कर दी गई है। इसी दर के आधार पर देश में उत्पादित गैस के लगभग दो-तिहाई हिस्से की बिक्री होती है।

प्राकृतिक गैस उर्वरक बनाने के साथ बिजली पैदा करने के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है। इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है और पाइप के जरिये (पीएनजी) इसे रसोई में खाना पकाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि पुराने गैस क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमतें सिर्फ एक साल में लगभग पांच गुना बढ़ गई हैं। सितंबर, 2021 में इसकी कीमत 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से सितंबर 2021 में 8.57 डॉलर तक पहुंच गई थी।

एमएमबीटीयू गैस मूल्य में प्रत्येक डॉलर की वृद्धि पर सिटी गैस वितरण (सीजीडी) संस्थाओं को सीएनजी की कीमत 4.7 से 4.9 रुपये प्रति किलो बढ़ानी पड़ती है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, कच्चे माल की ऊंची लागत के प्रभाव को पूरी तरह से दूर करने के लिए सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में 6.2 रुपये प्रति मानक घनमीटर और 9 से 12.5 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि करने की आवश्यकता होगी।

जेफ्रीज ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सीएनजी और पीएनजी की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड को सीएनजी की कीमत आठ रुपये प्रति किलो बढ़ाने की जरूरत होगी, जबकि मुंबई में खुदरा विक्रेता महानगर गैस लिमिटेड को कीमतों में नौ रुपये की बढ़ोतरी करनी होगी।

कोटक ने कहा कि कई कारणों से घरेलू गैस मूल्य फार्मूले पर फिर से विचार करने और ‘फ्लोर/सीलिंग’ मूल्य पेश करने की गंभीर आवश्यकता है।

भाषा जतिन अजय

अजय

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