हरित हाइड्रोजन भारत की शुद्ध-शून्य उत्सर्जन यात्रा के लिए महत्वपूर्ण : अडाणी |

हरित हाइड्रोजन भारत की शुद्ध-शून्य उत्सर्जन यात्रा के लिए महत्वपूर्ण : अडाणी

हरित हाइड्रोजन भारत की शुद्ध-शून्य उत्सर्जन यात्रा के लिए महत्वपूर्ण : अडाणी

:   Modified Date:  January 16, 2024 / 04:53 PM IST, Published Date : January 16, 2024/4:53 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उद्योगपति गौतम अडाणी ने मंगलवार को कहा कि हरित हाइड्रोजन भारत के शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में सफर की कुंजी है और इसपर आने वाली उच्च लागत को सौर ऊर्जा की तरह नीचे लाया जा सकता है।

अडाणी समूह के मुखिया ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के लिए लिखे एक ब्लॉग में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन की दिशा में छलांग लगाने से भारत को ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी।

नवीकरणीय बिजली के इस्तेमाल से पानी को विभाजित करके हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है। यह एक स्वच्छ ईंधन है और इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। इसका इस्तेमाल इस्पात और तेल रिफाइनरी जैसे उद्योगों में कच्चे माल और वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

अडाणी ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा एक लंबा सफर तय कर चुकी है लेकिन यह अनुकूल मौसमी हालात पर निर्भर करती है। हरित हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन का एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है।’’

हालांकि, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर है। ऐसे में इसकी व्यवहार्यता इसपर निर्भर करती है कि नवीकरणीय ऊर्जा की उत्पादन लागत हरित हाइड्रोजन की तुलना में तेजी से कम हो।

नवीकरणीय ऊर्जा के साथ हरित हाइड्रोजन कारोबार में भी सक्रिय अडाणी समूह के चेयरमैन अडाणी ने कहा कि ‘ऊर्ध्वाधर एकीकरण’ से हरित हाइड्रोजन उत्पादन लागत को काफी कम किया जा सकता है। ‘‘ऊर्ध्वाधर एकीकरण’ में एक कंपनी अपनी मुख्य उत्पाद से जुड़ी सभी गतिविधियों को अंजाम देती है।

उन्होंने कहा, ‘‘खासकर भारत में हरित हाइड्रोजन कई क्षेत्रों के लिए शुद्ध-शून्य उत्सर्जन की दिशा में आखिरी मुकाम हो सकता है।’’

हालांकि, हरित हाइड्रोजन पर आने वाली वर्तमान लागत अधिक है और इसे कम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लिए न्यायसंगत समाधान एक जीवाश्म ईंधन को दूसरे के साथ बदलना न होकर नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन की ओर छलांग लगाना है। सौर लागत में आई कमी को हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में भी दोहराया जा सकता है।’’

सौर ऊर्जा की उत्पादन लागत पिछले कुछ वर्षों में तेजी से घटी है। वर्ष 2011 में सौर पैनल से बिजली पैदा करने पर 15 रुपये प्रति यूनिट की लागत आती थी लेकिन अब यह घटकर 1.99 रुपये प्रति यूनिट पर आ गई है। यह पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की सबसे कम उत्पादन लागत है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

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