भारत ने घरेलू कीमतों की तेजी पर काबू पाने के लिए गेहूं निर्यात पर रोक लगाई |

भारत ने घरेलू कीमतों की तेजी पर काबू पाने के लिए गेहूं निर्यात पर रोक लगाई

भारत ने घरेलू कीमतों की तेजी पर काबू पाने के लिए गेहूं निर्यात पर रोक लगाई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : May 14, 2022/9:25 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

पिछले एक वर्ष में गेहूं और उसके आटे की खुदरा कीमतों में 14-20 प्रतिशत की वृद्धि होने के बाद खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह फैसला गेहूं कीमत को नियंत्रित करने तथा पड़ोसी एवं कमजोर मुल्कों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार देर रात जारी एक अधिसूचना में गेहूं की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने की घोषणा की। हालांकि इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले निर्यात की खेप के लिए जारी हो चुके अपरिवर्तनीय साख पत्र (एलओसी) पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी।

डीजीएफटी अधिसूचना के अनुसार, अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।

विदेशों से भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा, जिसका मूल्य 2.05 अरब डॉलर था। गेहूं के कुल निर्यात में से पिछले वित्त वर्ष में लगभग 50 प्रतिशत हिस्से का निर्यात बांग्लादेश को किया गया था।

विपक्षी दल कांग्रेस ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने इस मुद्दे पर ‘यू-टर्न’ ले लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘जब प्रचार आपके फैसले को तय करते हैं, तो आपको नीतिगत दिवालियापन मिलता है।’’

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘ गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना एक किसान-विरोधी कदम है। यह किसान को उच्च निर्यात कीमतों के लाभ से वंचित करता है। यह एक किसान विरोधी उपाय है और मुझे आश्चर्य नहीं है। यह सरकार कभी भी किसान के प्रति बहुत दोस्ताना नहीं रही है।’’

हालांकि शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने यह कहते हुए इस कदम को सही ठहराया कि प्रतिबंध ‘सही समय’ पर और मुख्य रूप से मुद्रास्फ़ीति पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है।

प्रतिबंध को जायज ठहराने के लिए वाणिज्य सचिव बी वी आर सुब्रह्मण्यम, खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय और कृषि सचिव मनोज आहूजा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में गेहूं की आपूर्ति का कोई संकट नहीं है और यह कदम गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है।

वाणिज्य सचिव ने कहा, ‘अंतिम बात यह है कि भोजन हर देश के लिए बेहद संवेदनशील चीज है क्योंकि यह गरीब, मध्यम और अमीर सभी को प्रभावित करता है।’ उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में गेहूं के आटे की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पड़ोसियों के लिए रास्ता खुला छोड़ा है। हमने बड़ी संख्या में कमजोर देशों के लिए भी खिड़की खुली रखी है। मकसद यह है कि व्यापार का रुख जरुरतमंद, गरीब एवं कमजोर देशों की ओर मोड़ा जाये।’’

उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 के बारे में बात करते हुए कहा कि अनुमान के मुताबिक अब तक 43 लाख टन गेहूं निर्यात के लिए अनुबंधित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें से 12 लाख टन पहले ही अप्रैल और मई में निर्यात किया जा चुका है जबकि बाकी 11 लाख टन गेहूं आने वाले समय में निर्यात किए जाने की उम्मीद है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कीमतों की स्थिति में सुधार होता है तो सरकार इस फैसले की समीक्षा कर सकती है।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण वैश्विक गेहूं की आपूर्ति में व्यवधान के बीच निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं।

संवाददाता सम्मेलन में खाद्य सचिव ने कहा कि तुर्की और अमेरिका जैसे कई अन्य देशों ने गेहूं के निर्यात पर अलग-अलग प्रतिबंध लगाए हैं।

गेहूं की फसल के बारे में उन्होंने कहा कि फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में यह लगभग 10.5-10.6 करोड़ टन होने की संभावना है, जबकि पहले यह अनुमान 11 करोड़ 13.2 लाख टन का था। पिछले फसल वर्ष में यह ल्रगभग 10.9 करोड़ टन से थोड़ा अधिक था।

हालांकि कुछ विशेषज्ञों को डर है कि गेहूं का वास्तविक उत्पादन देश के गेहू उत्पादक इलाकों में पड़ी भीषण गर्मी के कारण इससे भी कम हो सकता है।

गेहूं के कम उत्पादन और निजी कंपनियों द्वारा गेहूं की फसल की अधिक खरीद के बीच, चालू विपणन वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) में सरकार की गेहूं खरीद पिछले साल के चार करोड़ 33.4 लाख टन के उच्चतम स्तर के मुकाबले इस बार घटकर लगभग 1.85 करोड़ टन तक रह जाने की संभावना है।

भारत वित्त वर्ष 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करना चाहता था। वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि भारत गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नौ देशों में अपना व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजे जाएंगे।

इस मौके पर खाद्य सचिव ने कहा कि उपभोक्ताओं के हित में यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने एक-दो हफ्ते में गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों में कमी आने की उम्मीद भी जताई।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)