नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) इस साल यानी 2023 में वैश्विक मांग कमजोर होने और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात मामूली रूप से प्रभावित होगा। भारत को अपने चालू खाते में सुधार करने के लिए ऊर्जा आयात पर खर्च में कटौती करने के प्रयास करने चाहिए। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने मंगलवार को यह कहा।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि 2022 में कच्चे तेल और कोयले के आयात पर भारत 270 अरब डॉलर खर्च करेगा जो कुल आयात खर्च का 40 प्रतिशत बैठता है।
जीटीआरआई ने कहा, ‘‘भारत को स्थानीय तेल क्षेत्रों में खोज में तेजी लानी होगी और कोयला खदानों के जरिये उत्पादन बढ़ाना होगा। ऐसा होने पर ऊर्जा के आयात पर होने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी आएगी और चालू खाते की स्थिति सुधरेगी।’’
संस्थान ने कहा कि चीन को अलग-थलग करके वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के अमेरिका के प्रयास से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन हो रहा है और कई विनिर्माण कंपनियां अपना स्थान बदल रही हैं। भारत इस रुझान से लाभ पाने की मजबूत स्थिति में है।
वर्ष 2023 के परिदृश्य के बारे में जीटीआरआई ने कहा, ‘‘कमजोर वैश्विक मांग और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात पर मामूली असर रहेगा। अपने चालू खाते में सुधार के लिए देश को ऊर्जा आयात पर होने वाले खर्च को कम करने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए।’’
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