रासायनिक उर्वरकों में कटौती करने, वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाने की जरूरतः मांडविया |

रासायनिक उर्वरकों में कटौती करने, वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाने की जरूरतः मांडविया

रासायनिक उर्वरकों में कटौती करने, वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाने की जरूरतः मांडविया

:   Modified Date:  July 8, 2023 / 07:02 PM IST, Published Date : July 8, 2023/7:02 pm IST

नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और इंसानों एवं जानवरों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को देखते हुए नैनो तरल यूरिया एवं डीएपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने की जरूरत है।

मांडविया ने यहां मृदा स्वास्थ्य और टिकाऊपन के लिए रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटाने के विषय पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘रासायनिक उर्वरकों की अधिक खपत के दुष्प्रभाव अब दिखाई दे रहे हैं। मिट्टी के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है। उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि रुक गई है।’’

उन्होंने एक चिकित्सा अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग की अधिकता वाले जिलों में मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों के स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है।

मांडविया ने कहा कि सरकार ने हाल ही में राज्यों को वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग घटाने के लिए प्रोत्साहन देने के इरादे से एक नई योजना पीएम-प्रणाम (धरती मां की स्थिति में सुधार, जागरूकता, उत्पादन, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) को मंजूरी दी है।

सरकार ने मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करने के लिए पहली बार देश में सल्फर-लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) पेश करने का भी निर्णय लिया है।

इसके अलावा, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए 1,451 करोड़ रुपये की सब्सिडी के परिव्यय को मंजूरी दी।

मांडविया ने कहा कि कृषि पर रासायनिक उर्वरकों के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए सभी अंशधारकों और सरकार को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने इस बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने की जरूरत पर भी बल दिया।

मंत्री ने नैनो तरल यूरिया और नैनो तरल डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता के बारे में बात की।

मांडविया ने कहा कि नैनो-उर्वरकों का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है और अगर यह उत्पादन बढ़ाने में मदद नहीं करता है तो किसान इसे नहीं अपनाएंगे।

कृषि सहकारी सगंठन इफको ने बाजार में नैनो-यूरिया और नैनो-डीएपी पेश किया है।

इस कार्यशाला में नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने रासायनिक उर्वरकों की दक्षता में सुधार करने, वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देने, जैविक और अकार्बनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग और फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन द्वारा कचरे से आय करने पर जोर दिया।

उर्वरक विभाग के सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को फिर से जीवंत करने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए फैसलों का जिक्र किया।

कृषि सचिव मनोज आहूजा ने पीएम-प्रणाम योजना को ऐतिहासिक बताते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें जमीनी स्तर पर किसानों तक इन योजनाओं का संदेश और लाभ पहुंचाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के साथ काम करने की जरूरत है।’’

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

 

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