रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में नहीं किया बदलाव, आर्थिक पुनरूद्धार के लिये कदम उठाने का दिया भरोसा | RBI assures not to change policy rate, take steps for economic revival

रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में नहीं किया बदलाव, आर्थिक पुनरूद्धार के लिये कदम उठाने का दिया भरोसा

रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में नहीं किया बदलाव, आर्थिक पुनरूद्धार के लिये कदम उठाने का दिया भरोसा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : February 5, 2021/4:11 pm IST

मुंबई, पांच फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि नीति के मामले में उदार रुख बरकरार रखते हुए जरूरत पड़ने पर अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की प्रतिबद्धता जतायी।

नीतिगत दर को स्थिर रखने का मतलब है कि लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य कर्ज की किस्तों में कोई बदलाव नहीं होगा।

रिजर्व बैंक ने नकदी बढ़ाने के उपाय करने के साथ कोविड-19 महामारी के दौरान दी गयी नीतिगत मोर्चे कुछ राहत को वापस लेने का भी फैसला किया है।

इस सप्ताह पेश वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में वृद्धि को गति देने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर व्यय का प्रस्ताव किया गया है। इसको देखते हुए आरबीआई ने उपयुक्त मौद्रिक उपायों के जरिये सरकार की योजना को समर्थन देने भरोसा दिया।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा।

मौद्रिक नीति समिति ने पिछले साल रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की थी। हालांकि इस बार बैठक में समिति ने नीतिगत दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया। यह समिति की लगातार चौथी बैठक है, जब मुद्रास्फीति की चिंता में दरों को स्थिर रखा गया है।

इस निर्णय के बाद रेपो दर 4 प्रतिशत, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बनी रहेगी। रेपो वह दर है, जिसपर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन का उधार देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक अपना जमा राशि केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं।

दास ने समिति की बैठक के निष्कर्षों की जानकारी प्रदान करते हुए कहा, ‘‘एमपीसी के सभी सदस्यों ने उदार रुख को जबतक जरूरी है और कम-से-कम चालू वित्त वर्ष तथा अगले वित्त वर्ष में इसे बनाये रखने का निर्णय किया।’’

दास ने कहा, ‘‘यह निर्णय आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मध्यम अवधि में 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के लक्ष्य के अनुरूप है।’’

रिजर्व बैंक कोविड-19 महामारी के दौरान घोषित उदार नीतियों को भी वापस लेने का संकेत दिया गया। इसके तहत मौद्रिक और नकदी की स्थिति की समीक्षा के बाद सीआरआर को दो चरणों में पूर्व स्तर पर लाने का निर्णय किया गया है।

इसके तहत बैंकों को 27 मार्च, 2021 से शुरू पखवाड़े से एनडीटीएल (शुद्ध मांग और समय देनदारी) का 3.5 प्रतिशत और 22 मई, 2021 से शुरू पखवाड़े से 4 प्रतिशत के स्तर पर लाना है।

इससे केंद्रीय बैंक के पास जो राशि लौटोगी, उसका उपयोग बाजार में बांड की खरीद-बिक्री और अन्य नकदी बढ़ाने के उपायों में किया जा सकेगा।

सरकार के बड़े स्तर पर उधारी को सुगम बनाने के लिये केंद्रीय बैंक ने खुदरा निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश का विकल्प दिया।

आर्थिक वृद्धि के बारे में आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बयान में कहा गया है, ‘‘अन्य उपायों के साथ वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, नवप्रवर्तन और अनुसंधान समेत विभिन्न क्षेत्रों पर दिये गये जोर को देखते हुए 2021-22 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’ यह पिछले सप्ताह पेश आर्थिक समीक्षा में जतायी गयी 11 प्रतिशत की वृद्धि अनुमान से थोड़ा कम है।

चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है।

मुद्रास्फीति के बारे में आरबीआई ने आने वाले समय में गिरावट का अनुमान जताया है। मौद्रिक नीति समीक्षा में 2020-21 की चौथी तिमाही के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर को संशोधित को 5.2 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही 2021-22 की पहली छमाही के लिये इसे 5-5.2 प्रतिशत प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही के लिये 4.3 प्रतिशत कर दिया है।

वृद्धि परिदृश्य के बारे में दास ने कहा कि विभिन्न संकेतकों को देखते हुए इसमें उल्लेखनीय सुधार आया है। टीकाकारण अभियान से यह धारणा बनी है कि महामारी अब समाप्ति के रास्ते पर है। इससे वृद्धि को और गति मिलने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था में पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। वहीं दूसरी तिमाही में गिरावट 7.5 प्रतिशत रही।

दास ने कहा, ‘‘…आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था केवल एक दिशा में आगे बढ़ेगी और वह है ऊपर की ओर।’’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का वृद्धि परिदृश्य सुधरा है और बेहतर कृषि उपज,जाड़े में सब्जियों की आपूर्ति में सुधार को देखते हुए मुद्रास्फीति अगली कुछ तिमाहियों तक केंद्रीय बैंक के लक्ष्य 6 प्रतिशत से नीचे रहने का अनुमान है।

मौद्रिक नीति समीक्षा के बारे में इंडिया रेटिंग्स ने कहा, ‘‘हालांकि आरबीआई ने इस बैठक में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन ऐसी आशंका थी कि वह उन कुछ नियामकीय छूट को वापस ले सकता है, जो कोविड-19 संकट के प्रभाव से निकलने में मदद के लिये बैंकों को दिये गये थे।

बहरहाल, रिजर्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों(एनबीएफसी) को राहत भी देने की घोषणा की। संकटग्रस्त क्षेत्र तक कर्ज पहुंचाने के लिए दीर्घकालिक लक्षित रेपो सुविधा (टीएलटीआरओ) व्यवस्था के तहत उन्हें बैंकों से धन सुलभ कराने का प्रस्ताव किया गया है।

साथ ही बैंकों को नये एमएसएमई कर्जदारों को ऋण देने को लेकर कम सीआरआर के रूप में प्रोत्साहन देने की घोषणा की गयी है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने बैंकों को पूंजी संरक्षण कवच (सीसीबी) के नियम के तहत न्यूनतम पूंजी कोष के प्रबंध के लिए छह माह का समय और दिया है।

डिजिटल भुगतान प्रणाली के संदर्भ में आरबीआई ने कहा है, ‘‘भुगतान प्रणाली से जुड़े बड़े परिचालकों को केंद्रीकृत 24 घंटे सातों दिन काम करने वाली हेल्पलाइन व्यवस्था सितंबर 2021 तक करने की जरूरत है। इसका मकसद विभिन्न डिजिटल भुगतान के संदर्भ में ग्राहकों के सवालों के जवाब देना और शिकायतों की स्थिति के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘आने वाले समय में इस हेल्पलाइन के जरिये ग्राहकों की शिकायतों के पंजीकरण और उसके समाधान पर विचार किया जाएगा।’’

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह 27वीं बैठक थी। इसके सदस्य आशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिडे (बाह्य सदस्य), डा. मृदुल के सागर, डा. माइकल देबव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास हैं। समिति की यह तीन दिवसीय बैठक तीन फरवरी को शुरू हुई थी।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-7 अप्रैल, 2021 को होगी।

भाषा

रमण पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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