रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आपूर्ति प्रभावित, तेल-तिलहन कीमतों में सुधार |

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आपूर्ति प्रभावित, तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आपूर्ति प्रभावित, तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : April 17, 2022/12:05 pm IST

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विदेशी बाजारों में दाम चढ़ने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्य तेल आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से लगभग सभी खाद्य तेलों के भाव मजबूत हुए हैं। विदेशों में मजबूती के बीच सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेल-तिलहनों के भाव आयातित तेलों से भी सस्ते हैं। सभवत: यह पहला मौका है जब पामोलीन तेल के भी मुकाबले सस्सों तेल और सरसों रिफाइंड का भाव सस्ता हो गया है। सस्ता होने की वजह से मांग बढ़ने के कारण सरसों, मूंगफली, बिनौला जैसे देशी तिलहनों के भाव पर्याप्त सुधार के साथ बंद हुए।

थोक बाजार में पामोमीन तेल 162 रुपये किलो बिक रहा है जबकि सरसों तेल 150 रुपये किलो और सरसों रिफाइंड 154 रुपये किलो बिक रहा है। सरसों तेल की बाजार में अधिकतम कीमत लगभग 160-162 रुपये लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सरकार के अधिकारी तेल आपूर्ति की स्थिति में सुधार के मकसद से जमाखोरी रोकने के लिए जांच और छापेमारी पर जोर दे रहे हैं। लेकिन इस बात पर भी उन्हें ध्यान देना होगा कि जो कोई भी चाहे मनचाही मात्रा में सोयाबीन, सीपीओ जैसे खाद्य तेल आयात कर सकता है और इस पर कोई ‘स्टॉक लिमिट’ नहीं है।

दूसरी ओर देशी खाद्य तेलों के दाम आयातित तेलों से भी सस्ते हैं तो ऐसे में कौन जमाखोरी की जहमत उठायेगा? उन्होंने कहा कि इसके बजाय अगर सरकार सभी तेल कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर निगरानी रखे तो आधी से अधिक समस्या यूं ही खत्म हो जायेगी।

एमआरपी का लाभ उठाकर खुदरा दुकानदार व मॉल की दुकानों द्वारा इसे महंगी कीमत पर बेचा जा रहा है। इसकी जांच के लिए सरकार की ओर से कोई दल बने तो इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।

सूत्रों ने कहा कि बड़े तेल व्यापारी खाद्य तेलों का आयात किलो के भाव करते हैं लेकिन देश के बाजारों में इसे लीटर के भाव बेचते हें। इस बात की भी निगरानी होनी चाहिये कि क्या इतने ही अनुपात में ये कंपनियां दाम कम करती हैं या नहीं।

प्रति किलो खाद्य तेल के 1,000 ग्राम में से लीटर में खरीदने पर उपभोक्ताओं को मात्र लगभग 912 ग्राम तेल ही मिलता है।

सूत्रों ने कहा कि पिछले साल किसानों को अपनी तिलहन फसलों के अच्छे दाम मिलने से उन्होंने इस बार सरसों का उत्पादन बढ़ाया है। इस बार सही कीमत के इंतजार में वे मंडियों में माल कम ला रहे हैं। पिछले वर्ष अप्रैल के महीने में मंडियों में सरसों की आवक 10-12 लाख बोरी की थी जो इस बार घटकर लगभग पांच लाख बोरी रह गई है।

सूत्रों ने कहा कि तेजी के आम रुख और युद्ध के कारण आपूर्ति प्रभावित होने से सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला तेल सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा तभी इस मामले में हम आत्मनिर्भर बनेंगे। इससे हमारी विदेशी मुद्रा की बचत होगी। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार बढ़ेगा।

सूत्रों ने बताया कि सस्ता होने के कारण जोरदार मांग के चलते पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 40 रुपये सुधरकर 7,490-7,540 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 150 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,000 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 20-20 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 2,370-2,445 रुपये और 2,420-2,520 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख के बीच बीते सप्ताह सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 25-25 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 7,775-7,825 रुपये और 7,475-7,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी सुधार रहा। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 850 रुपये, 600 रुपये और 700 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 16,850 रुपये, 16,300 रुपये और 15,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। मूंगफली दाना 75 रुपये, मूंगफली तेल गुजरात 250 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 6,800-6,895 रुपये और 15,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 40 रुपये के सुधार के साथ 2,610-2,800 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

विदेशी बाजारों में तेजी के बीच समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 300 रुपये सुधरकर 14,200 रुपये क्विंटल हो गया। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 400 रुपये सुधरकर 16,250 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 400 रुपये सुधरकर 15,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 400 रुपये सुधरकर 15,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

भाषा राजेश

अजय

अजय

 

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