सेबी ने कंपनियों के प्रवर्तक समूह की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव किया | SEBI proposes rationalization of definition of promoter group of companies

सेबी ने कंपनियों के प्रवर्तक समूह की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव किया

सेबी ने कंपनियों के प्रवर्तक समूह की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:01 PM IST, Published Date : May 11, 2021/4:44 pm IST

नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को कंपनियों के प्रवर्तक समूह की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव किया। इसके अलावा आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) के बाद प्रवर्तकों और अन्य शेयरधारकों के लिये न्यूनतम ‘लॉक-इन’ अवधि में कमी समेत अन्य प्रस्ताव किये हैं।

परामर्श पत्र में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने समूह की कंपनियों के लिये खुलासा नियमों को भी दुरूस्त करने तथा प्रवर्तक की धारण से ‘पर्सन इन कंट्रोल’ धारणा लागू करने का सुझाव दिया है।

सेबी ने इन प्रस्तावों पर लोगों से 10 जून तक सुझाव देने को कहा है।

नियामक ने ‘लॉक-इन’ अवधि के संदर्भ में कहा है कि अगर निर्गम के मकसद में बिक्री पेशकश या पूंजी व्यय के अलावा अन्य वित्त पोषण शामिल हो, तब प्रवर्तकों का न्यूनतम 20 प्रतिशत का योगदान आईपीओ के तहत आबंटन की तारीख से एक साल के लिये ‘लॉक-इन’ रहना चाहिए। फिलहाल ‘लॉक-इन’ अवधि तीन साल है।

हालांकि, न्यूनतम शेयरधारिता नियमों के अनुपालन के मामले में आईपीओ के तहत आबंटन की तिथि से छह महीने बाद ‘लॉक-इन’ अवधि से छूट दी जानी चाहिए।

इसके अलावा नियामक ने प्रवर्तक समूह की परिभाषा को युक्तिसंगत बनाने का सुझाव दिया है। सेबी का कहना है कि मौजूदा परिभाषा में लोगों या व्यक्तियों के सामान्य समूह की होल्डिंग्स पर जोर होता है जिसमें प्राय: उन्हीं वित्तीय निवेशक वाली असंबद्ध कंपनियां भी जुड़ जाती हैं।

इसके तहत नियामक ने आईसीडीआर (इश्यू ऑफ कैपिटल एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट) में मौजूदा परिभाषा में बदलाव का सुझाव दिया है। इसमें बदलाव से खुलासा अनुपालन युक्तिसंगत होगा और सूचीबद्धता के बाद खुलासा जरूरतों के अनुरूप इसे बनाया जा सकेगा।

खुलासा नियमों के तहत नियामक ने समूह कंपनियों के संदर्भ में सभी समूह कंपनियों के नाम और पंजीकृत कार्यालय का पता के बारे में जानकारी विवरण पुस्तिका में देने का प्रस्ताव किया है।

विवरण पुस्तिका में शीर्ष पांच सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध समूह की कंपनियों की वित्तीय जानकारी, कानूनी विवाद समेत अन्य सूचना देने की आवश्यकता नहीं होगी।

हालांकि, सूचीबद्ध कंपनियों की वेबसाइट पर ये खुलासे पहले की तरह जारी रहेंगे।

इसके अलावा सेबी ने प्रवर्तक की धारणा से ‘पर्सन इन कंट्रोल’ की अवधारणा लागू करने का सुझाव दिया है। इस बदलाव के लिये तीन साल का समय देने का प्रस्ताव भी किया गया है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)