बीज की कमी से मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसान परेशान; रकबा, उत्पादन घटने क आसार | Soyabean farmers in Madhya Pradesh distressed due to seed shortage; Acreage, production decline

बीज की कमी से मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसान परेशान; रकबा, उत्पादन घटने क आसार

बीज की कमी से मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसान परेशान; रकबा, उत्पादन घटने क आसार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:50 PM IST, Published Date : June 15, 2021/11:32 am IST

इंदौर, 15 जून (भाषा) देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में खरीफ सत्र की बुआई की तैयारियों में जुटे हजारों किसान इस तिलहन फसल के अच्छे बीजों की कमी से परेशान हैं। जानकारों के मुताबिक इस संकट के समय रहते दूर न होने पर राज्य में ‘पीले सोने’ के रूप में मशहूर इस नकदी फसल की पैदावार में बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है।

इस बीच, राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोयाबीन की खेती को ‘घाटे का सौदा’ करार देते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए खरीफ सत्र में अन्य फसलें बोएं।

कृषक संगठन ‘किसान सेना’ के सचिव जगदीश रावलिया ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘इस बार प्रदेश में सोयाबीन के मानक बीजों की बड़ी किल्लत है। निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों द्वारा मौके का फायदा उठाते हुए सोयाबीन का बीज 9,000 रुपये से 12,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेचा जा रहा है और यह मूल्य पिछले साल के मुकाबले दोगुना है।’

उन्होंने कहा कि राज्य की कई सहकारी समितियों में सोयाबीन का बीज उपलब्ध नहीं है जिससे किसान परेशान हो रहे हैं।

राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान सोयाबीन की फसल को भारी बारिश और कीटों के प्रकोप से काफी नुकसान हुआ। इस कारण इसके बीज की कमी उत्पन्न हो गई है। राज्य सरकार हालांकि यह कमी दूर करने का प्रयास कर रही है। लेकिन वक्त की जरूरत है कि किसान खरीफ सत्र में बुआई के लिए अन्य फसलों को तरजीह दें।

कृषि मंत्री ने कहा, ‘एक समय था, जब सोयाबीन उगाने से राज्य के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरी थी। लेकिन अब उत्पादन लागत के मुकाबले उपज का सही मोल न मिल पाने के चलते सोयाबीन की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।’

उन्होंने कहा, ‘इन हालात में हमने किसानों को मौजूदा खरीफ सत्र में धान, मक्का, कपास, मूंगफली और दलहनी फसलें बोने की सलाह दी है ताकि उनकी आय बढ़ सके।’

पटेल ने कहा, ‘मैं स्वयं एक किसान हूं। हम अपने परिवार के खेतों में पहले 200 एकड़ में सोयाबीन बोते थे। इस बार हम केवल 10-20 एकड़ में सोयाबीन बोएंगे।’

केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के खरीफ विपणन सत्र के लिये सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। एमएसपी की यह दर पिछले सत्र के मुकाबले 70 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।

प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के आंकड़ों के मुताबिक गुजरे खरीफ सत्र के दौरान मध्य प्रदेश में 58.54 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई थी जो इसके तत्कालीन राष्ट्रीय रकबे का करीब 50 फीसद है। पिछले सत्र में सोयाबीन के 40.40 लाख हेक्टेयर रकबे के साथ पड़ोसी महाराष्ट्र इस फेहरिस्त में दूसरे स्थान पर रहा था।

सोपा के अध्यक्ष डेविश जैन ने कहा, ‘प्रदेश सरकार को सोयाबीन की खेती को हतोत्साहित करने के बजाय इसके उन्नत बीजों के उत्पादन का नया कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि कि देश में कुपोषण दूर करने और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सोयाबीन की खेती को बढ़ावा दिया जाना बेहद जरूरी है।

भाषा हर्ष नीरज मनोहर

मनोहर

 

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