वार्षिक लेखाबंदी का समय नजदीक आने के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन के भाव घटे |

वार्षिक लेखाबंदी का समय नजदीक आने के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन के भाव घटे

वार्षिक लेखाबंदी का समय नजदीक आने के बीच सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन के भाव घटे

:   Modified Date:  March 28, 2024 / 07:56 PM IST, Published Date : March 28, 2024/7:56 pm IST

नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) कारोबार की वार्षिक लेखाबंदी का समय नजदीक आने और कारोबारी गतिविधियां सुस्त पड़ने के बीच बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजारों में सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) तथा पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने के बीच सुस्त कारोबार के कारण सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज रात को मजबूत बंद हुआ था और फिलहाल यहां सुधार चल रहा है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज आज बंद है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक साढ़े सात लाख बोरी से बढ़कर लगभग 7.75 लाख बोरी हो गई। किसानों को उम्मीद है कि अप्रैल में उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे अन्य सरसों उत्पादक राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद शुरू हो जायेगी। संभवत: यही वजह है कि एक समय सरसों की आवक जो लगभग 16 लाख बोरी तक पहुंच गई थी, वैसी आवक अब नहीं हो रही है क्योंकि बड़े किसानों ने अपना माल एमएसपी पर बेचने के लिए रोक रखा है।

सूत्रों ने कहा कि सरसों, बिनौला, सोयाबीन, मूंगफली आदि जैसे देशी तिलहनों की सिर्फ एमएसपी पर खरीद लेने भर से देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की स्थिति नहीं बनेगी। सबसे अहम जरूरत इन देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने के लिहाज से आयात-निर्यात की नीति तैयार करना और आयात शुल्कों का निर्धारण करना होगा। अगर आयातित तेलों का थोक भाव टूटा रहा तो यह मौजूदा समय की तरह ही पूरे बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा और कीमतें दबी रहेंगी।

मस्टर्ड आयल प्रोड्यूसर एसोसिएशन (मोपा) के अध्यक्ष बाबू लाल डाटा ने भी सरकार से कहा है कि सस्ते आयातित तेलों की वजह से मिल वालों की परेशानी बढ़ी है क्योंकि देशी तेल-तिलहन के भाव सस्ते आयातित तेलों के आगे बेपड़ता बैठते हैं और इसलिए इनके बिकने में दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि सरकार को तेल आयात नीति की समीक्षा करनी चाहिये तथा तेल मिलों को वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिये क्योंकि पिछले काफी समय से वे सस्ते आयातित तेलों की वजह से परेशान हैं।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला के नकली खल के कारोबार को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि बिनौला खल को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट मिली हुई है। यह छूट इसलिए नहीं दी गई कि नकली खल का कारोबार फले फूले।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,300-5,340 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,080-6,355 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,225-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,725-1,825 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,725 -1,840 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,050 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,535-4,555 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,335-4,375 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)