रायपुरः Tomato Price Today कल तक बाजार में जिस टमाटर को लोग 2 रुपए किलो में भी खरीदने को तैयार नहीं थे आज बाजार में उसके दाम 100 रुपए तक पहुंच चुके हैं। टमाटर का भाव 100 रुपए तक पहुंचने के बाद देशभर में हड़कंप मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में भी टमाटर ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। यहां भी टमाटर थोक बाजार में 16 सौ रुपए कैरेट यानी 60 रुपए किलो टमाटर बिक रहा है। यानि आम जनता तक पहुंचते-पहुंचते खुदरा बाजार में कीमत 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जा रहा है।
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इन दिनों छत्तीसगढ़ के किसानों के खेत से टमाटर बाजार में नहीं आ रहा है। प्रदेश की मंडियों में कर्नाटक से टमाटर मंगाया जा रहा है, जिसके लिए सब्जी विक्रेताओं को परिवहन शुल्क के तौर पर मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। इसी का असर टमाटर सहित अन्य सब्जियों के दाम में देखने को मिल रहा है। सीधी बात करें तो जब सब्जी विक्रेता ही महंगे दाम पर टमाटर खरीदेंगे तो जनता को महंगे दाम पर ही मिलेंगे।
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किसानों की मानें तो टमाटर की खेती करीब चार महीने का होता है। इसके लिए दो महीने पहले बीज डलना पड़ता है, तब जाकर फल का उत्पादन होता है। अगर बारिश में टमाटर की फसल लेना है तो किसानों को मई जून के महीने में बीज डालना होगा, तब जाकर बारिश के सीजन में किसानों का टमाटर बाजार तक पहुंचेगा। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि टमाटर की खेती के लिए 30 से 35 डिग्री का तापमान की जरूरत होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ में मई जून के महीने में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान रहता है। ऐसे में किसानों के लिए टमाटर की फसल को गर्मी से बचा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है और नुकसान झेलना पड़ता है।
किसानों की मानें तो टमाटर की प्रति एकड़ खेती के लिए 1 लाख रुपए से अधिक की लागत आती है, जिसमें मेहनत , बीज, पानी, दवा सहित अन्य खर्च शामिल हैं। वहीं, उत्पादान की बात करें तो एक एकड़ में किसान कुल 2000 कैरेट का उत्पादन कर सकता है (अगर सब कुछ ठीक रहा तो)। बता दें कि मंडी में प्रति कैरेट में 24 किलो वजन माना जाता है।
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बात करें टमाटर के दाम की तो बाजार में टमाटर की कीमत लगभग 10 रुपए के आस-पास होती है। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि 2 रुपए किलो में भी कोई खरीदने को तौयार नहीं रहता, जिसके चलते किसानों को अपनी फसल फेंकनी पड़ जाती है। किसानों को कहना है कि जब तक टमाटर की कीमत 20 रुपए प्रति किलो किसानों को नहीं मिलेगा मुनाफा नहीं हो सकता। फिलहाल तो टमाटर को रेट 100 रुपए प्रति किलो चल रहा है, लेकिन इसका सीधा फायदा किसानों को नहीं बल्कि बिचैलियों को ज्यादा मिल रहा है।
दरअसल किसान जब अपनी फसल मंडी तक लाता है तो उसे दलालों को अपनी फसल बेचनी पड़ती है। फिलहाल तो ऐसी व्यवस्था है किसान अपनी फसल सीधे सब्जी विक्रेताओं को नहीं बेच सकता। दलाल किसान से उनकी फसल न्यूनतम दाम पर खरीदते हैं और सब्जी विक्रेतओं को अपनी दलाली जोड़कर बेचते हैं। ऐसे में कीमत बढ़ जाती है, जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ता है। वहीं, किसान और सब्जी विक्रेता के रेट में जो अंतर होता है कि वो सीधा दलाल को मिलता है। अब अगर दलाल दूसरे राज्य में सब्जी या फसल को बेचता है तो उसमें ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज और जुड़ जाता है।
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