रासायनिक उर्वरक उपयोग कम करने के प्रयासों से यूरिया की खपत घटने का अनुमान : सरकार |

रासायनिक उर्वरक उपयोग कम करने के प्रयासों से यूरिया की खपत घटने का अनुमान : सरकार

रासायनिक उर्वरक उपयोग कम करने के प्रयासों से यूरिया की खपत घटने का अनुमान : सरकार

:   Modified Date:  March 1, 2024 / 10:14 PM IST, Published Date : March 1, 2024/10:14 pm IST

नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि नैनो तरल यूरिया की मांग में वृद्धि और सरकार के रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के प्रयास के कारण चालू वित्त वर्ष में देश में पारंपरिक यूरिया खपत में 25 लाख टन की गिरावट आने का अनुमान है।

मांडविया ने कहा कि मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को खरीफ सत्र के लिए फॉस्फेटिक और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों पर 24,420 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी।

उन्होंने कहा कि यूरिया और डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) समेत बाकी सभी उर्वरकों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी।

मांडविया ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए कई प्रयास किए हैं। नैनो तरल यूरिया का उपयोग भी गति पकड़ रहा है।’’

मंत्री ने कहा कि इन उपायों के परिणामस्वरूप, वर्ष 2023-24 में यूरिया की खपत में 25 लाख टन की गिरावट का अनुमान है। मंडाविया ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान यूरिया की खपत 357 लाख टन रही।

उन्होंने कहा, ‘‘इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान, कुल यूरिया खपत 317 लाख टन थी।’’ उन्होंने कहा कि पूरे वित्तवर्ष के लिए यह आंकड़ा लगभग 330 लाख टन तक पहुंच जाएगा।

मंत्री ने पारंपरिक यूरिया की खपत में संभावित गिरावट के लिए नैनो तरल यूरिया की बढ़ती मांग को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगस्त 2021 और फरवरी 2024 की अवधि के दौरान कुल सात करोड़ नैनो यूरिया बोतलें बेची गई हैं।

मांडविया ने कहा कि 344 जिलों में पारंपरिक यूरिया की खपत कम हो गई है, जबकि 74 जिलों में नैनो तरल यूरिया का उपयोग बढ़ गया है।

भारत की यूरिया उत्पादन क्षमता 320 लाख टन सालाना है और ओडिशा के तालचर में बंद संयंत्र के पुनरुद्धार के बाद 332.5 लाख टन तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि देश वर्ष 2025 तक यूरिया के मामले में 100 प्रतिशत आत्मनिर्भर हो जाएगा।

पोटाश पर आयात निर्भरता को कम करने के लिए, मांडविया ने कहा कि भारत गन्ने के उपोत्पाद शीरे से सालाना पांच लाख टन पोटाश का निर्माण करने में सक्षम होगा।

फिलहाल सालाना 40 लाख टन पोटाश का आयात किया जा रहा है।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

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