वेंकैया नायडू ने सोशल मीडिया कंपनियों और परंपरागत मीडिया के बीच राजस्व साझेदारी पर जो दिया | Venkaiah Naidu on revenue sharing between social media companies and traditional media

वेंकैया नायडू ने सोशल मीडिया कंपनियों और परंपरागत मीडिया के बीच राजस्व साझेदारी पर जो दिया

वेंकैया नायडू ने सोशल मीडिया कंपनियों और परंपरागत मीडिया के बीच राजस्व साझेदारी पर जो दिया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : December 18, 2020/11:30 am IST

बेंगलुरु, 18 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को प्रौद्योगिकी आधारित सोशल मीडिया कंपनियों और परंपरागत मीडिया के बीच राजस्व साझेदारी पर आधारित सहयोग का व्यावसायिक मॉडल तैयार करने के लिए प्रभावी दिशानिर्देशों और कानून की जरूरत को रेखांकित किया।

गौरतलब है कि परंपरागत मीडिया संस्थान कमाई के लिए जूझ रहे हैं।

नायडू ने एम वी कामथ स्मृति व्याख्यान के छठे संस्करण में कहा, ‘‘प्रिंट मीडिया द्वारा पर्याप्त लागत के साथ तैयार की गई सूचना रिपोर्ट को सोशल मीडिया दिग्गजों द्वारा हड़पा जा रहा है। यह अनुचित है।’’

इस कार्यक्रम का आयोजन मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन ने किया था, जिसमें नायडू वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक प्रिंट मीडिया ईमानदारी से ऑनलाइन होकर तकनीकी को अपना रहा है, लेकिन उसे एक व्यवहार्य राजस्व मॉडल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि कुछ देश प्रिंट मीडिया के लिए सोशल मीडिया दिग्गजों के साथ राजस्व साझेदारी सुनिश्चित करने के उपाय कर रहे हैं।

नायडू ने जोर देकर कहा कि हमें इस समस्या पर भी गंभीरता से विचार करने और प्रभावी दिशानिर्देश तथा कानून बनाने की जरूरत है ताकि प्रिंट मीडिया को प्रौद्योगिकी कंपनियों से राजस्व में अपना हिस्सा मिल सके।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञापन से आमदनी एक मीडिया संगठन को चलाने के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रौद्योगिकी के कारण पैदा हुए व्यवधान के चलते मीडिया पर गंभीर असर पड़ा है और उन्हें गंभीर दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

नायडू ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी दिग्गज सूचना के द्वारपाल के रूप में उभरे हैं।’’

उन्होंने पारंपरिक मीडिया पर सोशल मीडिया के प्रभाव की व्याख्या करते हुए कहा कि वेब सूचना और समाचार के प्रसार का मुख्य साधन बनकर उभरा है।

सोशल मीडिया के युग में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी ही चाहिए, लेकिन इसमें स्व-नियमन और प्रोटोकॉल भी जरूरी है।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)