‘आदि विद्रोह’ देश की स्वतंत्रता में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा |

‘आदि विद्रोह’ देश की स्वतंत्रता में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा

‘आदि विद्रोह’ देश की स्वतंत्रता में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : August 10, 2022/12:11 am IST

रायपुर, नौ अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘आदि विद्रोह’ और 44 अन्य पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों के मुताबिक ‘आदि विद्रोह’ किताब में राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वतंत्रता से पहले हुए आदिवासी विद्रोहों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को यहां निवास कार्यालय में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में ‘आदि विद्रोह’ और 44 अन्य पुस्तिकाओं का विमोचन किया। उन्होंने बताया कि 340 पन्नों की इस किताब में आदिवासी नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों के शौर्य का विस्तृत उल्लेख किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि किताब ‘आदि विद्रोह, छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह तथा स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी जननायक’ में जल-जंगल-जमीन, शोषण, उत्पीड़न से रक्षा और भारतीय स्वतंत्रता के लिए समय-समय पर आदिवासियों द्वारा किए गए विद्रोहों और देश की स्वतंत्रता के लिए विभिन्न आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर आदिवासी जननायकों की शौर्य गाथा को प्रदर्शित किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस किताब में 1774 के हल्बा विद्रोह से लेकर 1910 के भूमकाल विद्रोह और स्वतंत्रता पूर्व तक के विभिन्न आंदोलन जिसमें राज्य के आदिवासी जन नायकों ने भूमिका निभाई थी, का वर्णन है।

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विभाग की आयुक्त शम्मी आबिदी ने बताया कि कई लोगों ने छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता पूर्व हुए प्रमुख आदिवासी आंदोलनों का दस्तावेजीकरण किया है। लेकिन यह किताब आदिवासी नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है।

आबिदी ने बताया कि इस किताब को नौ अध्यायों में विभक्त किया गया है। तथा इस किताब में वर्ष 1774 के हलबा क्रांति या विद्रोह से लेकर 1910 के भूमकाल विद्रोह और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक के विभिन्न आंदोलनों के आदिवासी जननायकों के शौर्य का उल्लेख विस्तृत रूप में किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस किताब में हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम विद्रोह, परलकोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मेरिया विद्रोह, मुरिया विद्रोह, रानी चेरिस विद्रोह, 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में शहीद वीर नारायण सिंह का विद्रोह, बस्तर के भूमकाल का विद्रोह, झण्डा सत्याग्रही सुखदेव पातर तथा जंगल सत्याग्रह के शहीद रामाधीन गोंड की तत्कालीन समय में घटित घटनाओं का काल्पनिक ग्राफिक चित्रण किया गया है।

आबिदी ने बताया कि किताब में आदिवासी नायकों के वंशजों के साक्षात्कार भी हैं। उन्होंने कहा कि यह किताब उन सभी शहीदों और आदिवासी नायकों को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपनी वीरता और साहस के माध्यम से देश को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही आदिवासी त्योहारों, व्यंजनों तथा कला और संस्कृति पर 44 पुस्तिकाएं भी जारी की।

भाषा संजीव संजीव सुरभि

सुरभि

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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