बस्तर दशहरा में कई वर्षों बाद बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीण देवी-देवता, भोजन-पूजन सामग्री को लेकर बढ़ा विवाद

इसकी वजह कुछ सालों में नक्सल प्रभाव कम होना बताया जा रहा है लेकिन इन ग्राम देवी देवताओं को दी जाने वाली भोजन एवं पूजा सामग्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

बस्तर दशहरा में कई वर्षों बाद बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीण देवी-देवता, भोजन-पूजन सामग्री को लेकर बढ़ा विवाद
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: October 8, 2022 10:32 am IST

Bastar Dussehra news: जगदलपुर। देश दुनिया में फेमस बस्तर दशहरा अब समापन की ओर है लेकिन देवी देवताओं की विदाई से पहले ग्रामीण क्षेत्रों से शामिल होने आए देवी-देवताओं के अपमान का मुद्दा गरमाने लगा है। दरअसल, अंतिम राजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की हत्या के बाद वर्षों से सैकड़ों की संख्या में देवी देवता ग्रामीण अंचल से दशहरे में शामिल होने नहीं पहुंच रहे थे लेकिन इस वर्ष पहली बार इन इलाकों से भी मुखिया और पुजारी अपने देवी-देवताओं को दशहरे में लेकर पहुंचे। इसकी वजह कुछ सालों में नक्सल प्रभाव कम होना बताया जा रहा है लेकिन इन ग्राम देवी देवताओं को दी जाने वाली भोजन एवं पूजा सामग्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

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दशहरे में मुरिया दरबार खत्म होने के साथ ग्रामीण अंचल से दशहरे में शामिल होने आए देवी देवता वापस होने की तैयारी में हैं। पुराने समय से परंपरा अनुसार देवी देवताओं के शामिल होने से लेकर दशहरे तक रहने और विदाई के दौरान पुजारी एवं सहयोगियों के लिए अनाज एवं देवताओं के लिए पूजा सामग्री राज परिवार की ओर से दी जाती थी। इन रस्मों को अब प्रशासन द्वारा अदा किया जाता है। वर्षों बाद नक्सल प्रभाव कम होने से अबूझमाड़ जैसे इलाके से भी देवी देवता दशहरे के पर्व में शामिल होने पहुंचे थे लेकिन कतार बद्ध तरीके से राशन के लिए लाइन लगाना और पूजा सामग्री के लिए समय पर सहयोग नहीं मिलने से ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। ग्रामीणों ने दशहरे के दौरान अव्यवस्था का आरोप लगाया और भविष्य में आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली।

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बस्तर दशहरे में प्राचीन परंपराओं का समावेश तो है ही जो बात इसे खास बनाती है वह इस पर्व में 500 से अधिक स्थानीय ग्रामीण देवी-देवताओं की रस्म ओर शिरकत है, हालांकि अचानक बड़ी संख्या में आए देवी देवताओं की वजह से भी इस दशहरे में प्रशासन को इंतजाम करने में मुश्किलें पेश आयीं। अगले दशहरे में दूरस्थ और पहुंच विहीन इलाकों से भी और बड़ी संख्या में देवी-देवताओं के शामिल हो सकते हैं।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com