परिजनों ने शहीद जवान की प्रतिमा स्थापित की, युवा लेते हैं प्रेरणा |

परिजनों ने शहीद जवान की प्रतिमा स्थापित की, युवा लेते हैं प्रेरणा

परिजनों ने शहीद जवान की प्रतिमा स्थापित की, युवा लेते हैं प्रेरणा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : January 27, 2022/7:50 pm IST

जशपुर, 27 जनवरी (भाषा) छत्तीसगढ़ में माओवादी हमले में मारे गये जवान के परिजनों ने उसकी याद में स्वयं के खर्च पर एक प्रतिमा स्थापित की है । गांव के युवा शहीद जवान की प्रतिमा के माध्यम से देश सेवा के लिए प्रेरित हो रहे हैं। परिजन ने इसकी जानकारी दी ।

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहूल जशपुर जिले के अंतर्गत पड़ोसी राज्य उड़ीसा की सीमा से लगे परेवा आरा गांव में स्थापित बासिल टोप्पो की प्रतिमा वर्ष 2012 से वहां के युवाओं को मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित कर रही है।

टोप्पो राज्य के उन सैकड़ों बलिदानियों में से एक हैं जिन्होंने नक्सलियों से लड़ते हुए मातृभूमि के लिए अपनी जान दी है।

टोप्पो के चचेरे भाई अरुण टोप्पो ने बताया कि बासिल वर्ष 2011 में बीजापुर जिले के भोपालपटनम थाना क्षेत्र के अंतर्गत भद्रकाली पुलिस शिविर में तैनात था। 19 अगस्त को जब वह अन्य जवानों के साथ शिविर की ओर जा रहा था तब नक्सलियों ने पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया और इस हमले में टोप्पो समेत 11 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।

अरूण ने बताया कि टोप्पो को तीन गोलियां लगी थी। उन्होंने कहा कि इस घटना ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया ।

उन्होंने बताया कि बासिल की याद को संजोकर रखने के लिए परिवार ने गांव में स्मारक बनाने का फैसला किया और इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से अनुरोध किया गया, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया तब परिवार के लोगों ने अपने खर्च पर ही स्मारक बनाने का फैसला किया।

बासिल के चचेरे भाई ने बताया कि इसके बाद उनके ​पिता ने एक स्थानीय व्यक्ति से अपने घर के सामने एक जमीन का टुकड़ा खरीदा और वर्ष 2012 में वहां बासिल की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।

अरुण ने बताया कि जब गांव में प्रतिमा स्थापित करने पर विचार किया गया तब तय किया गया कि बासिल का एक भाई कोलकाता में रहता है वहां से प्रतिमा बनवाई जाए। इसके बाद पड़ोसी राज्य ओड़िशा के मजदूरों की मदद से स्मारक का निर्माण कर वहां प्रतिमा स्थापित की गई।

उन्होंने बताया कि बासिल की मां अपने बेटे को देखने के लिए नियमित रूप से स्मारक आती है और खुद को यह समझाने का प्रयास करती है कि उनका बेटा अब भी उनके साथ है।

जिले में स्वास्थ्य कर्मचारी अरुण बताते हैं कि गांव के निवासी उसके भाई की शहादत को आज भी याद करते हैं और उन सभी को बासिल पर गर्व है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उनके स्मारक के सामने ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया जाता है। साथ ही अन्य त्योहारों पर भी उन्हें सम्मान दिया जाता है। रक्षाबंधन पर्व पर महिलाएं और लड़कियां प्रतिमा को राखी बांधती हैं।

उन्होंने कहा कि स्थानीय युवा बासिल को एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं और वह हर वर्ष उसकी याद में फुटबॉल और क्रिकेट टूर्नामेंट जैसे खेल आयोजन भी करते हैं।

अरुण ने बताया कि बासिल की छोटी बहन की शादी हो चुकी है और उसे पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली है और वह वर्तमान में जिले के बागबहार थाने में तैनात है।

भाषा सं संजीव संजीव रंजन

रंजन

 

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